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इन टिप्‍स से दूर करें माइग्रेन के दर्द को….

आज हर सात लोगों में से एक शख्‍स माइग्रेन से परेशान है। इस हिसाब से यह डाय‍बीटीज, मिर्गी और अस्‍थमा इन तीनों रोगों से ज्‍यादा माइग्रेन के रोगी हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसे ऐसी बीमारी माना है जो व्‍यक्ति को जीवनभर के लिए अशक्‍त बनाए रहती है। इसके बावजूद समाज में इसे लेकर जागरुकता और समझ की काफी कमी है। लेकिन अगर माइग्रेन से होने वाली तकलीफ से निजात पाना है तो इसे समझना होगा फिर इसका इलाज किया जा सकता है:

माइग्रेन के सिर दर्द के अलावा और भी कई लक्षण हैं। इनमें जी मिचलाना, आंखों और कान के पीछे दर्द होना और लाइट और आवाज के प्रति अधिक संवेदनशीलता होना शामिल है। माइग्रेन से पीड़ित करीब 20 से 25 प्रतिशत लोग देखने में और सुनने में परेशानी होने की शिकायत भी करते हैं।

जानकारों का मानना है कि आनुवंशिक कारणों की वजह से कुछ लोग माइग्रेन अटैक के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। माइग्रेन और तनाव दोनों का गहरा संबंध है। चिंता, उत्‍तेजना और किसी भी किस्‍म का तनाव माइग्रेन अटैक की वजह बन सकते हैं। कुछ दूसरे कारण हैं कैफीन की अधिक मात्रा, डिहाइड्रेशन, खाना न खाना या ज्‍यादा मीठी चीजें खा लेना वगैरह।

कोल्‍ड थेरपी : आइस पैक या बर्फ से सिंकाई करने से फायदा होता है क्‍योंकि इससे दर्द का अहसास कम होता है और नसों में बह रहा खून का तापमान भी कम हो जाता है। माइग्रेन से जूझ रहे 77 प्रतिशत लोगों को इससे फायदा होता है।

एक्‍युपंचर : एक्‍युपंचर से भी फायदा देखा गया है। इसमें शरीर में ऐसे इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक सिग्‍नल पैदा होते हैं जो शरीर को ऐसे केमिकल रिलीज करने को प्रेरित करते हैं जिनके असर से दर्द का अहसास कम होता है।

फीवरफ्यू : फीवरफ्यू नामके पौधे की सूखी पत्तियों से माइग्रेन के दर्द में कमी होती है बल्कि उसके अटैक भी कम हो जाते हैं। अधिकतम फायदे के लिए जरूरी है कि इसे कई महीनों तक लगातार लिया जाए।

लैवंडर का तेल : 2012 में हुई एक स्‍टडी में यह दावा किया गया कि माइग्रेन के अटैक के समय अगर 15 मिनट के लिए लैवंडर के तेल को सूंघा जाए तो तेजी से लाभ होता है।

मैग्‍नीशियम : शरीर में मैग्‍नी शियम नाम के तत्‍व की कमी और माइग्रेन में सबंध देखा गया है। कई रिसर्च में नतीजा निकाला गया कि मैग्‍नीशियम ऑक्‍साइड सप्‍लीमेंट लेने से दर्द और अटैक में कमी आती है।

फिश ऑइल : वैज्ञानिकों का कहना है कि मछली का तेल ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इससे भी माइग्रेन की तीव्रता और बारंबारता में कमी आती है।

जानकारों का कहना है कि जिन लोगों को माइग्रेन की समस्‍या है उन्‍हें डायरी में कुछ चीजें नोट कर लेनी चाहिए। इन नोट करना चाहिए कि कौन सी चीजें माइग्रेन की वजह बनती हैं, कौन सी दवाएं कारगर हैं, कितना दर्द होता है, क्‍या ये मासिक धर्म के समय होता है, किस जगह दर्द होता है, इसके अलावा क्‍या उल्‍टी और देखने सुनने में दिक्‍कत होती है।

खानपान की चीजों पर निगाह रखनी चाहिए।

बिना डॉक्‍टरी सलाह के पेनकिलर नहीं लेने चाहिए।

नियमित अंतराल पर खाना खाते रहना चाहिए।

डॉक्‍टरों का कहना हे कि जो महिलाएं मासिक धर्म, प्रेग्‍नेंसी या मेनॉपॉज से गुजर रही हैं उन्हें माइग्रेन की समस्‍या ज्‍यादा होती है। इसलिए हॉर्मोन के संतुलन को बनाए रखने के लिए उन्‍हें समय से खाना खाना चाहिए। इसमें प्रोटीन, साबुत अनाज की पर्याप्‍त मात्रा हो। साथ ही चीनी का सेवन भी सीमा में ही करना चाहिए।