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इस फल में है कैंसर, लकवा और पेट की बीमारियों से लड़ने का दम…

कहते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड आने वाले शख्स ने अगर यहां के फलों का स्वाद नहीं लिया। ये फल मध्य हिमायली इलाकों में बहुतायत से पाया जाता है। ये सदाबाहर पेड़ होता है जिस पर गर्मियों के दिनों में बेहद ही स्वादिष्ट फल लगता है। इस फल की गुणवत्ता बहुत है। ये ज्यादातर विटामिन से भरा होता है। इसमें आयरन भी भरपूर होता है। ये पहाड़ी फल एंटी ऑक्सीडेंट से भरा होता है। खट्टाऔर मीठे स्वाद के इस फल के जूस में डायजेशन से जुड़ी सारी ही बीमारी को ठीक करने के गुण होते हैं।  इस फल में कई तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों में फ्लावेन -4-हाइड्रोक्सी-3 पाया जाता है।

काफल कई बीमारियों में यूज किया जाता है जैसे एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकाइटिस, जुखाम, अतिसार, बुखार, मूत्राशय रोग एवं यकृत सम्बन्धी बीमारियां इसे खाने भर से ठीक हो जाती हैं। काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुण सेभरी होती हैं। इसकी छाल में एंटी इन्फ्लैमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुण होने के कारण काफल न केवल कैंसर जैसी बीमारी को भी सही करने का काम करता है बल्कि ये खूबसूरती बढ़ाने और जवान बनाए रखनें में भी खूब उपयोग होता है।

इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक जूस से भरा होता है। ऐसे में ये पेट से जुड़ी कई बीमारियों को सही करने का काम करता है। इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं। जैसे अतिसार, अल्सर, गैस,कब्ज, एसिडीटी आदि। मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है, क्योंकि ये कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी डिप्रेशंट तत्वों से भरा होता है। इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है। इस फल का उपयोग औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है। इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूंघने से भी आराम मिलता है।