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एक दलित उद्योगपति ने बदली, सैकड़ों की किस्मत

लखनऊ, भारत मे जिस समाज के अधिकांश लोगों के पास आज भी दो जून की रोटी नसीब होना एक बड़ी बात हो उसी समाज के एक व्यक्ति ने स्वयं को बिजनेस मे स्थापित करने के बाद, दूसरों की भी किस्मत बदलने का बीड़ा उठाया. उनका यह प्रयास व्यर्थ नही गया , अबतक वह 200 से ज्यादा लोंों की किस्मत बदल चुकें हैं.

दलित समाज मे पैदा हुये, 80 साल के सोहराई राम आज सफल  उद्योगपति हैं. उनका जन्म 1938 में रोहतास के नासरीगंज थाने के खिरीवांआ गांव में साधारण परिवार में  हुआ. शिक्षा नासरीगंज हाईस्कूल से हुई, उसके बाद उन्होंने मुजफ्फपुर के लंगट सिंह कॉलेज में दाखिला लिया फिर धनबाद से माइनिंग इंजीनियर का कोर्स किया. धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग करने के बाद वो टाटा कंपनी में माइंस मैनेजर की नौकरी करने लगे.

1967 में नौकरी छोड़कर राजनीति के क्षेत्र में कूदे. उन्होंने पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम के खिलाफ सासाराम सीट से पीएसपी पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी और दूसरे स्थान पर रहे. राजनीति में हाथ पांव मारने के बाद  उन्हें समझ में आ गया है कि वो राजनीति के लिए नहीं बने है. राजनीति में सफल होने के लिए संसाधन जरूरी है फिर उन्होंने अपना रूख कारोबार की ओर किया और आज वह सफल दलित उद्योगपति हैं. लेकिन उनकी यात्रा यहीं समाप्त नही होती है . खुद सफल होने के बाद उन्होंने अपने जैसे 200 लोगों को सफल बनाने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया है.

बिल्कुल साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद, उन्होंने मेहनत के दम पर सफलता हासिल की. कारोबार की शुरूआत उन्होंने बैंक से लोन लेकर की थी. सोहराई राम के अनुसार कछोड़राय स्टोन के प्रॉपराइटर जी बोस थे. उन्होंने अंग्रेजों से बंजारी प्रॉपर्टी खरीदी थी. हाईकोर्ट के जरिए अखबार में इसका टेंडर निकला तो टाटा समेत कई लोगों ने इसे भरा. लेकिन मेरे पास माइंस का अनुभव होने के कारण कोलकाता हाईकोर्ट ने इसे मुझे आवंटित कर दिया था और फिर मेहनत के बल पर आगे बढ़ते गये. उन्होंने बताया कि उनके नाम से एक कोयवलरी भी थी जिसे बाद में  नेशनलाइज कर दिया गया.

सोहराई राम के अनुसार अब तक वह 200 से ज्यादा लोगों को लखपति बना चुके हैं. उन्होने बताया कि हम लोगों से मिलते हैं और जरूरतमंद के साथ मेरिट रखने वालों को हर तरह से मदद करते हैं. उन्हें बैंक से भी पैसे दिलवाते हैं. सोहराई राम के अनुसार दलित एंटरप्रेन्योर के लिए केंद्र और राज्य सरकार की काफी योजनाएं हैं. लेकिन जानकारी कम होने के साथ साथ  बैंक से लोन लेने, जमीन, बिजली और पानी समेत तमाम एनओसी लेने में काफी दिक्कतें होती हैं.