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किसानों के मामले पर सरकार की दोहरी नीति उजागर

झांसी, उत्तर प्रदेश के झांसी में जिला प्रशासन का दोहरा चरित्र देखने को मिला जब जिलाधिकारी कार्यालय से कुछ दूरी पर आंदोलन कर रहे किसानों से मिलने या उनकी बात सुनने के लिए जिला प्रशासन ने मिलने की जहमत नही उठायी वहीं जिलाधिकारी किसान दिवस पर अपने मातहतों को किसानों हित में उनकी समस्याओं के जल्द से जल्द समाधान के उपदेश देते नजर आये।

जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने विकास भवन में किसान दिवस के अवसर पर आयोजित बैठक में अधिकारियों को आदेश दिये कि किसानों के हित में काम करेंए उनकी समस्याओं का समाधान समय से करेंए किसानों का उत्पीड़न किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगाए किसान दिवस को यदि अधिकारी हल्के में लेंगे तो कार्रवाई की जायेगी। इतना ही नहीं बैठक में अनुपस्थिति रहे अधिकारियों के वेतन काटे जाने के और अनुपस्थिति पर स्पष्टीकरण देने के आदेश भी जिलाधिकारी ने दिये।

इस दौरान अवस्थी ने किसानों को अन्नदाता बताते हुए कहा कि अगर किसानों को किसी तरह की तकलीफ होती है तो यह सही नहीं है । किसानों को सहयोग दें। एक ओर जिलाधिकारी किसानों की भलाई और उनके हक में ऐसे आदेश जारी कर रहे थे तो दूसरी ओर अपने कार्यालय से कुछ ही दूर खुले पार्क में दिन रात गुजार रहे किसानों के दुरूख दर्द और तकलीफों को जानने या सुनने के लिए वह नहीं जा पाए।
किसानों के पास जाना तो दूर लगातार ज्ञापन लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच रहे किसानों से मिलने का समय भी श्री अवस्थी को नहीं मिला। हद तो आज तब हो गयी जब प्रशासन की ऐसी अनदेखी से आहत किसान कपड़ा उतारो अभियान की शुरूआत करते हुए कुर्ता उताकर जब उनके कार्यालय पहुंचे तो भीतर होने के बावजूद वह कार्यालय से बाहर नहीं आये और किसान सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर लौट गये।

प्रशासन पर हद दर्जे की संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए किसानों ने कपडा उतार अभियान की शुरूआत की है और उनकी मांग है कि उनकी जायज मांगों पर ठोस कार्रवाई की जाए इस मामले में कोरे आश्वासनों पर अब उन्हें कोई भरोसा नहीं रह गया है । अगले कुछ दिनों में यह देखना रोचक होगा कि किसानों की परेशानियों पर घडियाली आंसू बहाने वाला प्रशासन हकीकत में उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अपनी ओर से कोई कार्रवाई करता है या आंदोलनरत किसान उन्हें ऐसा करने को मजबूर करने में कामयाब रहते हैं।