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खेल उद्योग तबाह होने की कगार पर,ये है कारण….

 नयी दिल्ली, देश में खेल सामग्री के कारोबार से जुडे़ उद्योगतियों ने जीएसटी परिषद की बैठक में इन उत्पादों पर कर की दर को कम करने के बारे में विचार नहीं किये जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि अगर इसे जीएसटी की न्यूनतम दर के दायरे में नहीं लाया गया तो देश भर का खेल उद्योग संकट में आ जाएगा।

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 दरअसल देश भर में ‘एक देश एक कर व्यवस्था’ के तहत खेल उत्पादों को 12 से 28 फीसदी कर के दायरे में रखा गया है जिसे बदलने की मांग खेल सामग्री बनाने वाले व्यापारी कर रहे हैं । उनकी मांग है कि खेल के सामान पर कर की दर न्यूनतम होनी चाहिए ताकि खेल उद्योग को बचाया जा सके ।

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 पंजाब व्यापार सेना के संयोजक रविंदर धीर ने कहा, ‘‘देश में पंजाब के जालंधर और उत्तर प्रदेश के मेरठ में खेल का सामान बनता है । खेल सामग्री को 12 से 28 फीसदी दर के दायरे में रखा गया है । इसका सबसे ज्यादा असर पंजाब के खेल उद्योगों पर पड़ रहा है । जीएसटी की अधिकतम दर होने के कारण न केवल जालंधर बल्कि दूसरे स्थानों पर भी इस धंधे से जुड़े लोगों पर संकट है।’’ धीर ने कहा, ‘‘पंजाब में खेल उद्योग पहले ही राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण प्रभावित है क्योंकि उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर के मुकाबले पंजाब में खेल सामग्री पर राज्य सरकार वैट वसूलती थी और अब जीएसटी की अधिकतम दर के दायरे में आने से कारोबार प्रभावित हो रहा है।

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 दूसरी ओर खेल उद्योग संघ के संयोजक विजय कुमार कहते हैं, ‘‘मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि खेल सामग्री पर न्यनूतम जीएसटी लगाया जाए । हमारी मांग के अनुसार केंद्र सरकार को खेल सामग्री पर लगने वाली जीएसटी की दरों में कटौती करने पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए था । कल हुई जीएसटी परिषद में हमें फिर निराशा ही हाथ लगी है।

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 इस संबंध में पूछे जाने पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा, ‘‘हम एक देश एक कर व्यवस्था लेकर चल रहे हैं और अगर जीएसटी की विभिन्न दरों में कोई गड़बड़ी या विसंगति सामने आती है तो हम उसे दूर करेंगे। जीएसटी परिषद की बैठक हर महीने होती है और हम सामने आ रही दिक्कतों और मुश्किलों को दूर कर रहे हैं ।’’ व्यापार सेना और खेल उद्योग संघ के संयोजकों ने कहा कि अगर खेल सामग्री पर लगने वाली जीएसटी की दरों में कमी नहीं की गयी तो न केवल पंजाब बल्कि देश भर का खेल उद्योग तबाह और बर्बाद हो जाएगा ।

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 मेरठ में खेल सामान के निर्माता राजेंद्र मोहन ने  बताया, ‘‘ खेल उत्पादों के 12 से 28 फीसदी कर के दायरे में आने से पिछले तीन महीने में खेल सामग्री का कारोबार 70 फीसदी तक कम हो गया है जिससे यह बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है।’’ मोहन ने बताया, ‘‘सरकार को छोटे कारोबारियों का भी खयाल रखना चाहिए और उन्हें यह समझना होगा कि छोटे कारोबारी भी पूरा कर चुकाते हैं । अगर ये उद्योग बंद हो जायेंगे तो सरकार के राजस्व में भी कमी आएगी ।

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 इससे पहले धीर ने बताया, ‘‘उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर में शून्य फीसदी वैट की अपेक्षा पंजाब में पहले से 5.5 फीसदी वैट लगता था । जीएसटी कमेटी ने इसे लागू किये जाने से पहले यह आश्वासन दिया था कि खेल सामग्री पर वैट के बराबर ही जीएसटी लगाया जाएगा । एक जुलाई से जब जीएसटी लगाया गया तो खेल सामग्री को 12 से 28 फीसदी के दायरे में रखा गया और बार बार मांग के बावजूद इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया ।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य और केंद्र सरकार के वित्त मंत्री से हम मिल कर खेल सामग्री उद्योग को बचाने की मांग कर चुके हैं । हमें इसका आश्वासन भी मिला लेकिन जब भी जीएसटी परिषद की बैठक हुई तो हमें निराशा ही हाथ लगी है ।’’ धीर ने कहा, ‘‘जालंधर में खेल सामग्री का कारोबार 1700 से 1800 करोड़ रूपये का है । इसमें लगभग 1350 करोड़ का घरेलू तथा 450 करोड़ रूपये का निर्यात होता है। इसी तरह मेरठ में लगभग 1100 से 1200 करोड़ का कारोबार है। जम्मू कश्मीर में केवल क्रिकेट के बैट बनते हैं ।’’