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फिर शुरू हो गयी, भारत-पाकिस्तान के बीच, कारवां-ए-अमन बस सेवा

श्रीनगर, श्रीनगर से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद तक चलने वाली साप्ताहिक कारवां.ए.अमन बस सेवा दो सप्ताह तक स्थगित रहने के बाद आज सुबह फिर शुरू हो गयी।
आधिकारिक सूत्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि बस सुबह सात बजे उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैन्य चौकियों की आखिरी कमान चौकी की ओर रवाना हुई। अब यह व्यापार सुविधा केंद्र  पार कर चुकी है।
बस पर सवार भारतीय यात्रियों की सही संख्या के बारे में देर शाम तक ही जानकारी मिल पाएगी। इसी प्रकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के यात्रियों के बारे में भी शाम तक ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा।
सेना द्वारा अभियान शुरू किए जाने के कारण सुरक्षा वजहों से साप्ताहिक बस गत सप्ताह एक दिन भी नहीं चली। गोलीबारी की

घटना के बाद उरी सेक्टर के अडूरा गांव में सेना द्वारा तलाशी अभियान चलाया था। सेना ने गत सप्ताह 14 यात्रियों के साथ जा रहे बस को जबला पुल पर रोक दिया था और तब से बस सेवा स्थगित थी। इसकी सूचना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अधिकारियों को भी दे दी गयी थी।

बस सेवा स्थगित होने के कारण पाकिस्तान की ओर के 20 मेहमानों को भी मायूसी का सामना करना पड़ा। यह बस गत एक मई को भी नहीं चली। चूंकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का हवाला देते हुए बस सेवा को स्थगित रखने की गुजारिश की।

वर्ष 1999 के करगिल युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास हासिल करने के प्रमुख उद्देश्यों के साथ यह बस सेवा शुरू की गयी है। वर्ष 2016 में कश्मीर में मचे उथल.पुथल और संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नियंत्रण रेखा पर तनावों के बावजूद यह बस सेवा का सफर जारी है।

नियंत्रण रेखा के आर.पार जाने वाली इस बस कर सफर सात अप्रैल 2005 को शुरू हुई। इस बस सेवा का आतंकवादी संगठनों ने कड़ा विरोध किया था। इस बस सेवा ने अब तक वर्ष 1947 के विभाजन में बिछड़ गए हजारों परिवारों को एक.दूसरे से मिलवाया है। दरअसल भारत और पाकिस्तान सरकार इस बस सेवा के लिए अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट के स्थान पर ट्रैवल परमिट के आधार पर यात्रा को मंजूरी दी है। दोनों सरकारों ने इस मामले को राज्यों का मामला भी माना है।
इस बस की सवारी के लिए ट्रैवल परमिट हासिल करने के लिए भारत और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के नाम जारी करवाना होता है जो जांच.परख के बाद नामों को हरी झंडी देते हैं। बहरहाल इस बस का सफर अभी भी जारी है।