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भेदभाव संविधान ने तो समाप्त कर दिया, परंतु सत्ता वर्ग इसको हर स्तर पर संरक्षण देते रहे-मायावती

लखनऊ,  बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी  और केंद्र सरकार के साथ-साथ कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि संविधान के उद्देश्यों को फेल करने में भाजपा-कांग्रेस चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा व आरएसएस की संविधान विरोधी घातक व घृणित सोच आमजनता कभी सफल नहीं होने देगी।

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मायावती ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का भारतीय संविधान आज खतरे में जरूर है, परंतु यह भी एक ऐतिहासिक सत्य है कि संविधान को उसकी सही मंशा के अनुसार लागू करके देश का व्यापक कल्याण करने के मामले में कांग्रेस किसी भी प्रकार से भाजपा एंड कंपनी से कम फेल नहीं रही है अर्थात संविधान के पवित्र उद्देश्यों को फेल साबित करने के मामले में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही चोर-चोर मौसेरे भाई हैं।

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नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘संविधान खतरे में है’ वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मायावती ने कहा, “यही सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आरएसएस की विघटनकारी व हिंदुत्ववादी सोच वाली सरकार में देश का संविधान खतरे में है और यह बात भाजपा एंड कंपनी के लोग चाहे लाख नकारें, परंतु यह सभी जानते हैं कि आरएसएस की सोच संविधान व भारतीय तिरंगा विरोधी रही है।”

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उन्होंने कहा कि ये लोग मुंह में राम बगल में छुरी की तरह संविधान की शपथ लेकर सरकार में तो आ गए हैं, लेकिन इस संविधान की आड़ में अपनी घोर कट्टरवारी व जातिवादी सोच को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “यही कारण है कि आज देश की हर संवैधानिक व लोकतांत्रिक संस्थाएं, यहां तक कि संसद, न्यायपालिका व कार्यपालिका सभी एक अभूतपूर्व संकट व तनाव के दौर से गुजर रही है। लेकिन दूसरी तरफ यह भी एक ऐतिहासिक सत्य ही है कि बाबा साहब ने देश की आजादी के बाद जिस सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र का मानवतावादी सपना देखा था, वह कांग्रेस के लंबे शासनकाल के दौरान बिखरता चला गया।”

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मायावती ने कहा, “छुआछूत, जातीयता, जातिवादी हिंसा व भेदभाव संविधान में तो समाप्त कर दिया गया, परंतु सत्ता वर्ग के लोग इसको हर स्तर पर संरक्षण ही देते रहे। साथ ही अन्य पिछड़े वर्ग को उसका हक देने के मामले में काफी ज्यादा भेदभाव बढ़ता गया। यही कारण है कि आजादी के काफी लंबे समय के बाद ही गैर कांग्रेस सरकार द्वारा बाबा साहब को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा सका तथा ओबीसी वर्ग को शिक्षा व नौकरी के क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकी।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस को यह बात भी देश को बतानी चाहिए कि बाबा साहब ने 1951 में देश के पहले कानून मंत्री के पद से इस्तीफा क्यों दिया था? कांग्रेस पार्टी के अनेक संवैधानिक हित व कल्याण की पवित्र भावना के विपरीत काम करते रहने के कारण ही मजबूर होकर ‘बहुजन समाज’ को अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए अंतत: 14 अप्रैल 1984 को बसपा की स्थापना करनी पड़ी थी।”

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मायावती ने कहा, “भाजपा और आरएसएस एंड कंपनी यदि आज खुलेआम संविधान की अवमानना करके देश के इतिहास में काला अध्याय जोड़ रही है तो कांग्रेस का भी दामन कम दागदार नहीं है। बसपा बाबा साहब के पवित्र संविधान की रक्षा में अपना जी-जान ही नहीं, बल्कि अपना सब कुछ कुर्बान कर देगी, लेकिन कांग्रेस पार्टी किस नैतिक आधार पर भाजपा की संविधान विरोधी सोच से मजबूती से लड़ेगी, यह देखने वाली बात होगी।”

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