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सऊदी पत्रकार खशोगी हत्या मामले में ईरान का रवैया मूक दर्शक जैसा

तेहरान, सऊदी अरब के नागरिक और वाशिंगटन पोस्ट के लिए काम कर रहे पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में ईरान का रवैया एक मूक दर्शक जैसा है और इसने उसके क्षेत्रीय प्रतिदंद्वी सऊदी अरब के लिए एक तरह से संकट पैदा कर दिया है।

गौरतलब है कि जमाल खशोगी दो अक्टूबर को इस्तामबुल के सऊदी वाणिज्य दूतावास में जातेे समय आखिरी बार देखा गया था और उसके बाद से खशोगी के बारे में कोई जानकारी नहीं है।बुधवार तक ईरान की इस मामले में काेई भी प्रतिक्रिया नहीं आई थी। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम घासेमी ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों की बौछारोंं का सामना करतेेेे हुए कहा था कि ईरान घटनाओं पर बारीकी से नजर रख रहा है।

इस बीच सुुधारवादी लेेखन के लिए विख्यात समाचार पत्र अरमान के स्तंभकार रेजा गाबीशावी ने इस मामले में ईरानी नेताओं की चुप्पी को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि खशोगी ईरान का मित्र नहीं था और उसने यमनए सीरिया तथा इराक में ईरानी हस्तक्षेप की जोरदार आलोचना की थी तेहरान टाइम्स ने इस बात पर जोर दिया है कि पश्चिम देशों की तरफ से जिस प्रकार सऊदी शासकों को समर्थन मिल रहा है उसे देखते हुए खशोगी के साथ हुए बर्ताव को लेकर कोई आश्चर्य नहीं व्यक्त किया जाना चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में प्रतिक्रिया करते हुए कहा था कि शैतानाें ने उनकी हत्या कर दी होगी। इस बीचए सीएनएन और वाल स्ट्रीट जर्नल ने अनाम सूत्रों के हवाले से कहा है कि सऊदी अरब एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है जिसमें इस बात को स्वीकार किया जाएगा कि खाशोगी की हत्या पूछताछ के दौरान हुई थी।  ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर खाशोगी मामले में सऊदी अरब की भूमिका सामने आती है तोे उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

तुर्की में विवाह के संबंध में सऊदी दूतावास में कुछ दस्तावेज एकत्र करने गए जमाल खाशोगी दो अक्टूबर के बाद से नहीं लौटे हैं। जमाल खाशोगी ने अमेरिका से पढ़ाई की थी और पत्रकारिता के करियर की शुरूआत 1980 के दशक से की थी। तुर्की का मानना है कि पत्रकार की हत्या करके उसके शव को कहीं छिपा दिया गया है जबकि सऊदी अरब इस आरोप को खारिज कर रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यपप एर्दोगन और सऊदी सुल्तान सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सौद ने इस मुद्दे पर फोन से बातचीत भी की है।

जमाल सऊदी में लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रहे थे और वह सुन्नी रियासत के खिलाफ लिखने को लेकर वह हमेशा चर्चा में रहे हैं। सऊउी अरब में मोहम्मद बिन सलमान को सत्ता मिलने के बाद वह अपनी मर्जी से अमेरिका चले गए थे। फिलहाल वह वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिख रहे थे। जमाल के लेख सऊदी सरकार की आंखों में खटकते थे और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद इसी वजह से वह लापता हुए हैं। हालांकिए सऊदी का कहना है कि जमाल के लापता होने में उनका कोई हाथ नहीं है।