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11 विशेष अदालतों में होगी सांसदों-विधायकों के खिलाफ दर्ज 3816 मामलों की सुनवाई

नई दिल्ली,  केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को कहा गया है कि 1765 नीतिनिर्माताओं के खिलाफ लंबित 3816 आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जाए.

कानून मंत्रालय ने कहा कि विशेष अदालतों का गठन वर्तमान में 11 राज्यों में हो रहा है जिनमें आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, बिहार, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इसने कहा कि 12 राज्यों ने अभी तक इस तरह की अदालतों का गठन नहीं किया है वहीं असम, नगालैंड, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा जैसे राज्यों से स्थिति रिपोर्ट मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है.

कानून और न्याय मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा कि उच्च न्यायालयों, राज्य और संघ शासित क्षेत्र की विधानसभाओं और सरकारों से सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की सूचना मांगी गई है. कानून मंत्रालय ने कहा कि इसने राज्य के मुख्य सचिवों, राज्य विधानसभाओं के सचिवों और सभी उच्च न्यायालयों से सूचना मांगी थी.

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय के एक नवम्बर 2017 के आदेश का पालन करते हुए इन अदालतों के गठन का प्रस्ताव दिया है और योजना के तहत 11 राज्यों के लिए 7.8 करोड़ रुपये मंजूर किया गया है. उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा 248 सांसदों- विधायकों के खिलाफ कुल 565 मामले हैं वहीं केरल में 114 सांसदों- विधायकों के खिलाफ 533 मामले लंबित हैं.