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अखिलेश यादव ने शिवपाल का बड़ा संकट दूर किया, चचा भतीजे की दूरियां हुई कम ?

लखनऊ, देश के सबसे बड़े समाजवादी परिवार के बीच पनपी अविश्वास की दीवार अब गिरती नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव के बीच खड़ी इस दीवार को गिराने मे बड़ी भूमिका निभाई है।

समाजवादी पार्टी द्वारा शिवपाल की विधानसभा सदस्यता के खिलाफ दी गई अर्जी वापस लेने पर स्पीकर ने मुहर लगा दी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित ने समाजवादी पार्टी के उस अनुरोध को मान लिया है जिसमे पार्टी ने शिवपाल यादव की सदस्यता के खिलाफ दी गई अर्जी को वापस लेने की अपील की गई थी। इससे शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त होने का बड़ा संकट अब दूर हो गया है।

यूपी विधान सभा के स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित ने बताया कि समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिर्वतन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी। रामगोविंद चौधरी ने 23 मार्च को प्रार्थना पत्र देकर याचिका वापस करने का आग्रह किया था। चौधरी ने कहा था कि याचिका पेश करते वक्त कई जरूरी दस्तावेज और सबूत नहीं सौंपे गए थे, ऐसे में याचिका वापस की जाए।

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इसी आधार पर रामगोविंद चौधरी की याचिका वापस करने की अपील को स्वीकार कर लिया गया है। अब शिवपाल सिंह की विधानसभा सदस्यता को लेकर कोई खतरा नही है।

2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के पहले से ही मुलायम सिंह यादव के परिवार में बिखराव शुरू हो गया था। 2017 में शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह जसवंतनगर सीट से निर्वाचित हुए थे। लेकिन जल्द ही पारिवारिक विवाद की वजह से उन्हे समाजवादी पार्टी छोड़नी पड़ी। शिवपाल यादव ने पहले सेक्युलर मोर्चा और फिर 2018 में अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) बना ली।

शिवपाल यादव ने 2019 में लोकसभा चुनाव अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) के बैनर तले लड़ा। उन्होने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद से ताल ठोकी । शिवपाल यादव के लड़ने कारण अक्षय यादव हारे और बीजेपी के चंद्रसेन जादौन चुनाव जीत गये। इस चुनाव मे अक्षय यादव को 4.67 लाख, बीजेपी के चंद्रसेन जादौन को 4.95 लाख वोट मिले थे। वहीं शिवपाल यादव को 91 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।

राजनीति मे न कोई स्थायी दुश्मन होता है और ना दोस्त, अब ये बात अगर परिवार के बीच देखी जाये तो और भी ज्यादा संभावना बन जाती है। तकनीकी रूप से शिवपाल यादव अभी भी एसपी से असंबद्ध विधायक हैं। ऐसे में एक बार फिर चर्चा गरम है कि क्या चाचा-भतीजा एक होंगे?