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आखिर क्यों अमर सिंह को बार-बार याद आती है समाजवादी पार्टी ?

लखनऊ ,  समाजवादी पार्टी के निष्कासित राज्यसभा सदस्य अमर सिंह एक बार फिर उसी समाजवादी पार्टी को याद कर रहें हैं। ये अलग बात है कि अमर सिंह अब गुस्से से समाजवादी पार्टी को याद कर रहें हैं और समाजवादी पार्टी की नींव हिलाने की बात कर रहें हैं।

दरअसल, अमर सिंह के अगर राजनैतिक कैरियर पर नजर डालें तो उनको फर्श से अर्श पर पहुंचाने मे समाजवादी पार्टी का अहम रोल रहा है। जब-जब वह समाजवादी पार्टी से अलग हुये उनकी राजनैतिक हैसियत घटी है। वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। नवंबर 1996 में वह राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए।

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दिल्ली में अमरसिंह उस वक़्त बुलंदी पर आए, जब संप्रग सरकार के अमेरिका के साथ प्रस्तावित परमाणु समझौते के कारण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार अल्पमत में आ गई थी। 2008 में मनमोहन सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने  के दौरान  अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के 39 सांसदों के साथ – साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में लाकर मनमोहन सिंह सरकार को बचा लिया और राष्ट्रीय राजनीति मे छा गये।

 6 जनवरी 2010 को, इन्होंने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें 2 फ़रवरी 2010 को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वर्ष 2011 में इनका कुछ समय न्यायिक हिरासत में भी बीता। अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। अन्ततः इन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया। घोषणा करते हुए इन्होंने कहा- “मैं अपनी पत्नी और अपने परिवार को अधिक समय देना चाहता हूँ। अतः चुनावों की अन्तिम तिथि (१३ मई) के बाद, मैं राजनीति से सन्यास ले लुँगा।”

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समाजवादी पार्टी में वापसी से पहले करीब छह साल तक अमर सिंह सक्रिय राजनीति से दूर रहे। इस दौरान वे गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने लिए दूसरे दरवाजे भी देखे। ख़ुद की राजनीतिक पार्टी भी बनाई।  लेकिन राष्ट्रीय लोक मंच के उम्मीदवारों की 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जमानत जब्त हो गई। 2014 में राष्ट्रीय लोक दल से लोकसभा के चुनाव लड़े, बुरी तरह हारे।

इतना ही नहीं, कांग्रेस में शामिल होने की ख़ूब कोशिश की, लेकिन उनकी दाल नहीं गली और आख़िर में उन्हें ठिकाना उसी पार्टी में मिला जिसको अब वह जी भरकर  कोस रहें हैं । वर्ष 2016 में इनकी समाजवादी पार्टी में पुनः वापसी हुई और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह ने इन्हे राज्य सभा भिजवा दिया।

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हाल ही में लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद अमर सिंह की तारीफ की थी। इसके बाद से ही अमर सिंह समाजवादी पार्टी के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं। आज वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर बरस रहें हैं। उन्होने सोशल मीडिया पर, कुछ इस तरह धमकी दी है-

अगर धर्मनिरपेक्षता का मतलब अपने स्वाभिमान से समझौता कर हिंदू होने पर शर्म करना है तो ऐसी धर्मनिरपेक्षता नमाजवादी पार्टी को मुबारक, आज़म खान और उनकी पार्टी की असलियत पूरे प्रदेश तक पहुँचा उनकी नींव हिला कर ना रख दी तो मेरा नाम अमर सिंह नहीं।

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अमर सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट पर वीडियो जारी कर अखिलेश यादव को नमाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बताया है। अमर सिंह इस दौरान समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां पर भी जमकर बरसे। अखिलेश यादव के चुनाव जीतने पर विष्णु का मंदिर बनवाने वाले बयान को लेकर राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने निशाना साधा है। अमर सिंह ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में अमर सिंह ने कहा कि अखिलेश समाजवादी नहीं बल्कि नामजवादी हैं। अखिलेश यादव और आजम खां पर अमर सिंह का यह बेहद गुस्सा भरा वीडियो है।इस वीडियो में अमर सिंह का गुस्सा सबसे ज्यादा आजम खां पर है।

कभी अखिलेश यादव के साथ टोपी पहने नजर आने वाले अमर सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव तुम्हें विष्णु मंदिर बनाने का पूरा हक है, तुम समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष नहीं हो, तुम नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हो। तुम्हारा बनाया हुआ और तुम्हारे पिता का बनाए हुए राजनीतिक पुत्र अजाम खां ने बयान दिया कि अमर सिंह जैसे लोगों को काटना चाहिए। उनकी जवान हो रही बेटियों के उपर तेजाब फेंकना चाहिए।

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अमर सिंह ने अखिलेश यादव के परिवारिक झगड़े का जिक्र करते हुए उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैंने उनकी परिवारिक कलह को सुलझाया। इसके बाद भी जब मैं बड़ी मुसीबत में था तब ना वह और ना ही उनके पिता मेरी और मेरे पारिवार की सुध लेने आए। अमर सिंह ने कहा मैं धर्मनिरपेक्षता के लिए अपने आत्मस्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकता हूं। के अलावा

बात बिल्कुल स्पष्ट है अमर सिंह को  समाजवादी पार्टी के अलावा कोई भी पार्टी  अपने साथ कभी भी रखना नही चाहती रही है। दूसरे दलों ने अमर सिंह को यूज किया और किनारा किया। अमर सिंह का राजनैतिक कद केवल समाजवादी पार्टी ने बढ़ाया है। लेकिन ये अमर सिंह का दुर्भाग्य है कि अब समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ मे है। इसलिये अब अमर सिंह कितनी भी धमकी दे डालें समाजवादी पार्टी मे  उनकी दाल नही गलने वाली है।

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