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बुरी तरह फंस गई थी बीजेपी सरकार, तब की भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई, ये रही मजबूरी..?

लखनऊ,  पिछले एक साल से जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को योगी सरकार ने आज तड़के करीब पौने तीन बजे रिहा कर दिया. लेकिन एेसा योगी सरकार ने खुशी से नही किया. यह करना बीजेपी सरकार की बड़ी मजबूरी थी. क्योंकि बीजेपी सरकार कानूनन और सामाजिक रूप से बुरी तरह घिर गई थी.

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चंद्रशेखर बीते साल भर से सहारनपुर की जेल में बंद थे. हाईकोर्ट ने भीम आर्मी  संस्थापक को सभी मामलों में जमानत दे दी थी. लेकिन चंद्रशेखर को जमानत मिलते ही , उसे न रिहा करने की मंशा के चलते योगी सरकार ने उस पर रासुका तामील करा दिया. जिससे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद भी चंद्रशेखर की रिहाई नही हो सकी. योगी सरकार का उत्पीड़न यहीं नही समाप्त हुआ.  चंद्रशेखर को जेल से रिहा न होने देने के लिये, नवंबर 2017 से अब तक तीन-तीन महीने के लिए चार बार रासुका की अवधि बढ़ाई गई.

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   यह अवधि 1 नवंबर 2018 को समाप्त हो रही थी. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उसकी महज 26 दिन की कारावास अवधि शेष थी. चूंकि शासन केवल एक साल तक ही रासुका बढ़ा सकता है और इसलिये चंद्रशेखर को रिहा करना अब योगी सरकार की मजबूरी थी  क्योंकि वह रासुका की  अवधि अब और आगे नही बढ़ा सकती थी.

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इधर चंद्रशेखर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिहाई और रासुका को लेकर डेढ़ माह पहले एसएलपी दाखिल की गई थी.  सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे और शुक्रवार को दोनों बीजेपी सरकारों को सुप्रीम कोर्ट को जवाब दाखिल करने हैं. अब दोनों सरकारें जवाब दे सकती हैं कि चंद्रशेखर की रिहाई हो चुकी है.

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आज जेल से रिहा होने के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखऱ ने कहा भी कि सरकार डरी हुई थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाने वाली थी. यही वजह है कि अपने आप को बचाने के लिए सरकार ने जल्दी रिहाई का आदेश दे दिया. मुझे पूरी तरह विश्वास है कि वे मेरे खिलाफ दस दिनों के भीतर फिर से कोई आरोप लगाएंगे. मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें.

दूसरी ओर , दलित, पिछड़े वर्ग के संगठनों और विपक्ष ने सहारनपुर जिले के इस शब्बीरपुर कांड को राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के दलित विरोध का प्रतीक बनाकर पेश किया। तमाम दलित संगठन इस मसले पर सहारनपुर से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक जुटे।  बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने तो 18 जुलाई 2017 को इसी के विरोध में राज्यसभा से अपना इस्तीफा देकर भाजपा पर बाकायदा दलित उत्पीड़न के आरोप भी लगाए। रही सही कसर, इसी हफ्ते शब्बीरपुर हिंसा के आरोपी क्षत्रिय पक्ष के रासुका में बंद तीनों युवकों की रिहाई ने पूरी कर दी.

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मीडिया को जारी उत्तर प्रदेश पुलिस के बयान के मुताबिक, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को सिर्फ बदले हालात और उनकी मां के आग्रह की वजह से रिहा किया गया है .जबकि हकीकत यह है कि चंद्रशेखर के अधिवक्ता हरपाल सिंह जीवन का कहना है कि छह महीने से हमने चंद्रशेखर की रिहाई के संबंध में कोई आवेदन शासन से नहीं किया है. हड़बड़ी मे, भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर  की मां की जिस अर्जी को यूपी शासन ने रिहाई का आधार बनाया है, वह बहुत पुरानी है.

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