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डॉक्टर्स ने रचा इतिहास,देश में पहली बार किया खोपड़ी का ट्रांसप्लांट

पुणे ,भारत हर क्षेत्र में अपनी काबिलयत का डंका बजा रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी भारत पीछे नहीं है। अब भारतीय डॉक्टर्स ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिससे उसकी धाक और जमेगी। प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हिंदुस्तान की छवि और सुधरेगी। क्योंकि पुणे के डॉक्टर्स ने एक चार साल की बच्ची की खोपड़ी का सफल प्रत्यारोपण किया है। चिकित्सकों ने क्षतिग्रस्त हुई खोपड़ी के हिस्सों को 60 प्रतिशत बदल दिया। प्रत्यारोपण थ्री- डाइमेंशनल पॉलीथाएलीन बोन्स से हुआ। खोपड़ी की हड्डियों को अमरीका स्थित एक फर्म ने सही माप और आकार देकर बनाया। डॉक्टर्स ने दावा किया है कि यह भारत में सफलतापूर्वक पहली खोपड़ी प्रत्यारोपण यानी स्कल ट्रांसप्लांट सर्जरी है। डॉक्टर्स का दावा है कि यह देश का पहला ऐसा स्कल ट्रांसप्लांट है। 

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पिछले साल 31 मई को शिरवाल में हुए एक सड़क हादसे में बच्ची को गहरी चोटें आई थीं और खोपड़ी का एक हिस्सा भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। बच्ची को तब दो मुश्किल सर्जरी के बाद घर भेज दिया गया था। डॉक्टर्स ने इस साल उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती किया था और अब सफलतापूर्वक उसकी खोपड़ी का प्रत्यारोपण किया गया है। 

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बच्ची की मां ने बताया, ‘वह स्कूल जा रही है और पूरे मजे से दोस्तों के साथ खेल रही है। अब वह पहले की तरह खुश है और चहक रही है।’ बच्ची के पिता स्कूल बस चलाते हैं और परिवार कोथुर्ड में रहता है। बच्ची का इलाज करने वाले भारती अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र ओसवाल ने बच्ची के स्कल ट्रांसप्लांट को बड़ी कामयाबी बताया है। 

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डॉक्टर जिंतेंद्र के मुताबिक, ‘बच्ची के सिर में लगी चोटें गंभीर और गहरी थीं, उनके ठीक होने के बावजूद भी खोपड़ी की हड्डी क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। उसे बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था और उसके सिर से खून बह रहा था। उसे फौरन वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था और सीटी स्कैन में साफ हुआ था कि उसके दिमाग में सूजन है और खोपड़ी का पिछला हिस्सा टूटकर धंस गया है।’ 

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बीते साल दो मुश्किल सर्जरी करने के बाद उसे वापस भेज दिया गया था, लेकिन वह सहज नहीं थी और सिर के अजीब आकार के चलते बच्चों के बीच घुलमिल नहीं पा रही थी। उसकी खोपड़ी का ट्रांसप्लांट करने के लिए उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती किया गया। घंटों चले मुश्किल ऑपरेशन के दौरान खास तौर पर बनवाए गए स्कल की हड्डी के 3डी मॉडल को सफलतापूर्वक जोड़ा गया। बच्ची स्वस्थ है और पहले से बेहतर महसूस कर रही है। 

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