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मायावती को मुस्लिमों से वोट मांगना पड़ा महंगा, बयान का चुनाव आयोग ने लिया संज्ञान

लखनऊ,  बहुजन समाज पार्टी  की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के सहारनपुर के देवबंद में जनसभा के दौरान मुसलमानों से सिर्फ गठबंधन को वोट देने वाले बयान का चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने स्थानीय प्रशासन से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।

 एसपी-बीएसपी और आरएलडी की पहली संयुक्त रैली विवादों में घिर गई है। रैली में  मायावती ने सीधे मुसलमानों को संबोधित करते हुए वोट की अपील की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के झांसे में न आए और बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन के उम्‍मीदवारों को वोट दे। इसके बाद उत्तर प्रदेश के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने इसका संज्ञान लेते हुए स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है।

मायावती ने अपने भाषण में कहा, ‘मैं खासतौर पर मुस्लिम समाज के लोगों से यह कहना चाहती हूं कि आपको भावनाओं में बहकर, रिश्ते-नातेदारों की बातों में आकर वोट बांटना नहीं है बल्कि एकतरफा वोट गठबंधन को ही देना है।’

 चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से प्रचार अभियान के दौरान जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि के नाम पर ऐसी भावनात्मक अपील करने से बचने को कहा है जिससे समाज में भेदभाव और तनाव फैलता हो।

उन्होंने कहा, ‘यहां पश्चिमी यूपी में और खासकर सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मंडल में मुस्लिम समाज की आबादी काफी ज्यादा है। मेरा खासकर इस चुनाव में मुस्लिम समाज के लोगों को कहना है और मैं सावधान करना चाहती हूं। आपको मालूम है कि यूपी में कांग्रेस इस लायक नहीं है कि बीजेपी को टक्कर दे सके। गठबंधन ही इस लायक है।

मायावती ने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पार्टी ने जानबूझकर विशेष धर्म के लोगों को टिकट दिया है। मायावती ने कहा, ‘इस बात का अहसास कांग्रेस को भी है। कांग्रेस मानकर चल रही है हम जीतें या न जीतें लेकिन गठबंधन नहीं जीतना चाहिए इसलिए कांग्रेस ने ऐसी जाति और ऐसे धर्मों के लोगों को खड़ा किया है जिससे बीजेपी को फायदा पहुंचे इसलिए मैं मुस्लिम समुदाय से कहना चाहती हूं, मुसलमानों को यह पता है कि हमारा मुस्लिम समाज का जो कैंडिडेट है, इसका टिकट हमने पहले ही फाइनल कर दिया था लेकिन कांग्रेस ने फाइनल नहीं किया था।

मायावती ने कहा कि मैं मुस्लिम समाज के लोगों को कहना चाहती हूं कि आपको वोट बांटना नहीं है बल्कि एकतरफा वोट देकर गठबंधन को कामयाब बनाना है। अब तो समाजवादी पार्टी और जाट भाई भी मैदान में उतर चुके हैं।’