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IAS से इस्तीफा देने के बाद, इस युवा ने ज्वाईन की ये राजनैतिक पार्टी, ट्वीट व वीडियो मे की दिल की बात

नई दिल्ली, 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद अगली मंजिल की राह पकड़ ली है. पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने मंगलवार को दिल्ली में भाजपा का हाथ थाम लिया है.

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 रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में ‘कमल’ थाम लिया.  बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने वाले 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.  ओमप्रकाश चौधरी ने इस अवसर पर ट्वीट कर कहा-

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O P Choudhary@OPChoudhary_CG

कर्तव्य पथ पर जो भी मिला,
यह भी सही, वह भी सही..
वरदान नहीं माँगूँगा,
हो कुछ, पर हार नहीं मानूँगा..

अटल जी के इन शब्दों को दिल में रखते हुए, मैंने माननीय श्री @AmitShah जी और माननीय @DrRamanSingh जी की उपस्तिथि में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

ओपी चौधरी ने एक वीडियो भी जारी किया है. वह वीडियो में छत्तीसगढ़ी में बता रहे हैं कि-

”जब मैं 8 साल का था तब मेरे पिता गुजर गए। मां ने मुझे स्कूल भेजा। वो स्कूल खपरैल वाला था। पानी रिसता था। तब मैंने लोगों के लिए सपना देखा। कलेक्टर बना और जितना कर सकता था उतना किया। कलेक्टर का पोस्ट खत्म हो रहा था और मंत्रालय की नौकरी शुरू होने वाली थी। मैंने जो लोगों के लिए सपना देखा था उसको पूरा करने में बंधन महसूस हो रहा था। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चाहे राजनीति की कितनी भी आलोचना की जाए, लेकिन उसके व्यापक महत्व को स्वीकार करना पड़ेगा। इसी के जरिए समाज के निचले पायदान के लोगों के सपने को भी साकार किया जा सकता है।”

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सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ मे बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी के लिए बड़ा दांव खेला है. 15 साल से सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी छत्तीस गढ़ मे इस समय एंटी इन्कम्बेंसी से जूझ रही है. इसलिये वह राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा आधे से ज्यादा पर नए और युवा चेहरे को मौका देने जा रही है.

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चौधरी दरअसल अघरिया समुदाय से आते हैं जिसका छत्तीसगढ़ में अच्छा वर्चस्व है. माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें खरसिया से टिकट दे सकती है, जहां से नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल विधायक हैं. खरसिया सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. चौधरी स्थानीय होने के साथ युवा आइकॉन के रूप में भी यहां लोकप्रिय हैं. दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी हो या रायपुर में गरीब बच्चों को स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला दिलवाने की बात हो, उन्होंने इनका प्रतिनिधित्व किया.

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