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मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर  बताने वाले पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सच्चर का निधन

नई दिल्ली,  दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्त्ता राजिंदर सच्चर का निधन हो गया। जस्टिस सच्चर ने मानवाधिकार को लेकर काफी काम किया था। 94 वर्षीय सच्चर पिछले काफी समय से बीमार थे और उन्हें हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देश में मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर  बताने वाले जस्टिस सच्चर की  कमेटी काफी सुर्खियों में रही थी।

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 जस्टिस राजिंदर सच्चर ने 1952 में वकालत की शुरुआत की थी। 8 दिसंबर 1960 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। इसके बाद 12 फरवरी 1970 को वे दो साल के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने। फिर 5 जुलाई 1972 को उनको दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाया गया। जस्टिस सच्चर दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस रह चुके हैं।

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 भारत सरकार ने 9 मार्च, 2005 को मुसलमानों के तथाकथित सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। इसे मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर, बैंकों से मिलने वाली आर्थिक सहायता आदि की जांच-पड़ताल के लिए बनाया गया था।जस्टिस राजिंदर सच्चर के नेतृत्व वाली इस कमेटी को सच्चर कमेटी के नाम से भी जाना जाता है।

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 403 पेज की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को 30 नवंबर, 2006 में लोकसभा में पेश की गई थ। स्वतंत्र भारत में यह पहला मौक़ा था, जब देश के मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक हालात पर किसी सरकारी कमेटी द्वारा तैयार रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी। सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में ही कहा है, भारत में मुसलमानों के बीच वंचित होने की भावना काफी आम है, देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति के विश्लेषण के लिए आज़ादी के बाद से किसी तरह की ठोस पहल नहीं की गई है.

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