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सोने के दाम नीचे आने की उम्मीद नहीं, कारों को लेकर बदल रहा ट्रेंड

हैदराबाद,  देश में निकट भविष्य में सोने के दाम नीचे आने की उम्मीद नहीं दिखाई देती है हालांकि, वाहन उद्योग की संभावनायें उद्योग के लिये किये जाने वाले सुधारात्मक उपायों पर निर्भर करती है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सोमैया कांति घोष ने यह विचार रखे।

उन्होंने कहा कि वाहनों की बिक्री में आई गिरावट आने वाली तिमाहियों में क्या हो सकता है इसका संकेत देती है। इसमें जब तक सुधार के उपाय नहीं होते हैं वृद्धि में नकारात्मक का रुझान दिखाई देता है। अब लोग 10 लाख रुपय से महंगी कारें खरीदने पर ध्यान दे रहे हैं। महिला कार खरीदारों की संख्या बढ़ रही है। इससे देश में महिला कर्मियों की संख्या बढ़ने का संकेत मिलता है।

घोष ने यहां ‘इंस्टीट्यूट फार एडवांस स्टडीज इन कम्पलैक्स च्वाइसेज (आईएएससीसी) के कार्यक्रम में कहा वित्तीय और कंपनी क्षेत्र आज अपनी साख और उतार-चढ़ाव से जूझने की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है।
वैश्विक पटल की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि हार्मुज जलडमरू, कोरियाई द्वीप और ताइवान में सैन्य टकराव की आशंका वैश्विक अर्थव्यवस्था और खासतौर से भारत के लिये किसी भी तरह सकारात्मक नहीं हो सकती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि चालू वित्त वर्ष के आखिरी छह माह में सोने के दाम लगातार चढ़ते रहें।
आने वाले समय में इसकी उम्मीद कम ही लगती है कि सोने के दाम नीचे आयेंगे।

इस साल धनतेरस पर सोने का दाम 39,000 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया जबकि एक साल पहले इस दिन यह 32,690 रुपये प्रति दस ग्राम पर था। एचडीएफसी सिक्युरिटीज के मुताबिक मंगलवार को सोना 328 रुपये बढ़कर 39,028 रुपये पर बोला गया।

घोष ने कहा कि कई देशों में गृहकलह के चलते पड़ौसी देशों में शरणार्थियों का दबाव बढ़ रहा है। इसके साथ ही भूराजनीतिक तनाव भी बढ़ रहा है जिसका जिंस बाजारों पर प्रभाव पड़ रहा है।

एसबीआई सलाहकार ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था बाहरी प्रभावों के असर से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। इसका वृद्धि में आ रही सुस्ती का प्रभाव देखा जा सकता है। उनके मुताबिक भारत सहित कई देशों में जून 2018 के मुकाबले जून 2019 में वृद्धि में 0.22 से लेकर 7.16 प्रतिशत तक गिरावट आई है।