बिना दर्शकों के हो रहे पहले टेस्ट में, क्रिकेटरों का पूरी तरह बदल जाएगा अंदाज ?

लंदन, इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज के बीच आठ जुलाई से साउथम्पटन में शुरू हो रहे पहले टेस्ट में क्रिकेट और क्रिकेटरों का अंदाज पूरी तरह बदल जाएगा।

तीन टेस्टों की सीरीज दर्शकों के बिना खाली स्टेडियम में जायेगी और इसमें कोरोना वायरस के कारण लाये गए कुछ नए नियम लागू होंगे। इस टेस्ट में गेंदबाजों का सबसे बड़ा टेस्ट होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने कोरोना के कारण गेंदबाजों के गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गेंदबाज अपनी पुरानी आदत पर कैसे काबू पाते हैं।

आईसीसी ने हालांकि शुरुआती तौर पर नियम के उल्लंघन पर कुछ ढील देने की पेशकश की है क्योंकि गेंदबाजों को इसकी आदत है। आईसीसी के नियम के तहत अगर कोई खिलाड़ी गेंद पर मुंह की लार का इस्तेमाल करता है तो उसे चेतावनी दी जाएगी। अंपायर टीम को दो बार इस नियम का उल्लंघन करने पर चेतावनी देंगे जिसके बाद फिर ऐसा होने पर बल्लेबाजी कर रही टीम को पांच अतिरिक्त रन दिए जाएंगे।

गेंद पर मुंह की लार का इस्तेमाल अनजाने में हुआ है या नहीं इसका फैसला भी अंपायर करेंगे तथा अगली गेंद डालने से पहले गेंद को संक्रमण मुक्त करने की जिम्मेदारी भी अंपायर की होगी।

कोरोना के कारण टेस्ट क्रिकेट में सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी की अनुमति भी दे दी गयी है।आईसीसी के मौजूदा नियमों के अनुसार मैच में सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी की तभी अनुमति होती है जब किसी खिलाड़ी के सिर में चोट लग जाए और वह खेलने की स्थिति में ना रहे। लेकिन कोरोना सब्स्टीट्यूट की मांग की जा रही थी और आईसीसी ने टेस्ट मैच के दौरान किसी खिलाड़ी में कोरोना लक्षण दिखने पर कोरोना सब्स्टीट्यूट की इजाजत दे दी है। इंग्लैंड ने ही सबसे पहले यह मांग उठायी थी। मैच के दौरान किसी भी खिलाड़ी में कोरोना के लक्षण दिखने पर मैच रेफरी सिर पर चोट लगने के मामले की तरह ही इस बाबत फैसला लेगा।

टेस्ट में स्थानीय अम्पायरों का इस्तेमाल किया जाएगा और टीमों को प्रत्येक पारी में अतिरिक्त डीआरएस भी मिलेगा। कोरोना के कारण नई परिस्थितियों में आईसीसी ने यह फैसला किया है।

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