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मुंबई की झुग्गियों में रहने को बेताब है अंग्रेज, भला ऐसा क्या है यहां..?

मुंबई ,अगर आप उन लोगों में से हैं जो सुख-सुविधाओं से भरी जिंदगी से ऊब चुके हैं और अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना चाहते हैं तो अपना पॉश फ्लैट या बंगला छोड़कर कुछ दिनों तक मुंबई की स्लम में रह सकते हैं. जिंदगी में नयापन तलाश रहे लोगों और भारत घूमने आए विदेशियों को ‘स्लम होमस्टे’ का कंसेप्ट इन दिनों खूब लुभा रहा है.

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स्लमडॉग मिलेनियर की तरह कई विदेशी फिल्मों में अक्सर भारत को एक गरीब, झुग्गी-झोपड़ियों से भरा हुए ऐसे देश के रूप में दिखाया जाता है, जहां अब तक कोई विकास नहीं हुआ है. ऐसे में कई विदेशी यहां झुग्गियों में जिंदगी का अनुभव लेने आ रहे हैं. खार स्थित स्लम होम-स्टे में एक रात का किराया 31 अमरीकी डॉलर यानी 2280 रुपये है. करीब एक साल पहले इसकी शुरुआत स्लम में रहने वाले रवि संसी ने की. ‘स्लम होटल’ के मालिक संसी ने अपने घर का एसी और टीवी से लैस एक हिस्सा कमरे में तब्दील कर दिया है.

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 स्लम होटल का ये कॉन्सेप्ट नीदरलैंड के डेविड बिजल का है. वह एनजीओ में काम करते हैं। स्लमडॉग मिलेनियर की तरह और भी कई विदेशी फिल्मों में भारत को गरीब, झुग्गी झोपड़ी वाला देश बताया जाता है। ऐसे में विदेशी इन झुग्गियों का मजा लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं. तस्वीरों में दिख रहा है कि कमरे की दीवारों पर उधड़ा हुआ पेंट है. साथ ही कम्यूनल बाथरूम भी है। संसी को ये आईडिया डेविड ने दिया था. दोनों का संपर्क इंटरनेट के जरिए हुआ. डेविड का कहना है कि इस आईडिया से किसी गरीब की आय बढ़ेगी. साथ ही दो तरह के लोग (विदेशी और झुग्गीवासी) जो कभी नहीं मिले हैं, वह मिल पाएंगे. उन लोगों को एक दूसरे को जानने का मौका भी मिलेगा.

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इस पहल से जहां कुछ लोग खुश हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस कॉन्सेप्ट से दुनिया में भारत की गलत छवि प्रस्तुत की जा रही है. असल में भारत इससे बेहद अलग है. माना कि भारत में झुग्गी झोपड़ियां हैं लेकिन पूरा भारत ऐसा नहीं है.भारत की असली तस्वीर इससे काफी अलग है. इस पहल की सोशल मीडिया पर भी खूब आलोचना की जा रही है. लोगों का कहना है कि किसी देश की गरीबी न तो कोई सांस्कृतिक धरोहर है और न ही ऐसी चीज जिसपर गर्व महसूस किया जा सके. जो लोग यहां आकर ठहरेंगे वो तो अपने देश जाकर यहीं कहेंगे कि उन्होंने भारत में झुग्गी झोपड़ी देखी हैं.

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