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इटावा गवाह है कांशीराम को पहली बार संसद पहुंचाने मे, मुलायम सिंह की मदद का

इटावा , बहुजन नायक कांशीराम ने समाजवादी पार्टी  के गढ इटावा से चुनाव जीत कर पहली बार संसद की दहलीज लांघी थी और उनकी इस जीत में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की महत्वपूर्ण भूमिका थी।ये सच है कि समाजवादी जननायक मुलायम सिंह यादव की बदौलत कांशीराम ने पहली बार संसद का रूख किया था ।

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1991 के आम चुनाव मे इटावा मे जबरदस्त हिंसा के बाद पूरे जिले के चुनाव को दुबारा कराया गया था । दुबारा हुये चुनाव मे बसपा सुप्रीमो कांशीराम ने खुद संसदीय चुनाव मे उतरे । बसपा के पुराने नेता और 1991 मे कांशीराम के संसदीय चुनाव प्रभारी खादिम अब्बास बताते है कि मुलायम सिंह यादव ने समय की नब्ज को समझा और कांशीराम की मदद की जिसके एवज मे कांशीराम ने बसपा से कोई प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जसवंतनगर विधानसभा से नही उतारा जबकि जिले की हर विधानसभा से बसपा ने अपने प्रत्याशी उतरे थे।

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कांशीराम मुलायम सिंह के बीच हुये गुप्त समझौते के तहत कांशीराम ने अपने लोगो से उपर का वोट हाथी और नीचे का वोट हलधर किसान चिंह के सामने देने के लिये कह दिया था । जिसके नतीजे के तौर पर जसंवतनगर मे नीचे मतलब मुलायम और उपर मतलब कांशीराम को ना केवल वोट मिला बल्कि जीत भी अर्जित की ।

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चुनाव लड़ने के दौरान कांशीराम इटावा मुख्यालय के पुरबिया टोला रोड पर स्थित तत्कालीन अनुपम होटल मे करीब एक महीने रहे थे । वैसे अनुपम होटल के सभी 28 कमरो को एक महीने तक के लिये बुक करा लिया गया था लेकिन कांशीराम खुद कमरा नंबर 6 मे रूकते थे और 7 नंबर मे उनका सामान रखा रहता था । इसी होटल मे कांशीराम ने अपने चुनाव कार्यालय भी खोला था ।

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इटावा लोकसभा आरक्षित सीट पर वर्ष 1991 में हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी कांशीराम समेत कुल 48 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव में कांशीराम को एक लाख 44 हजार 290 मत मिले और उनके समकक्ष भाजपा प्रत्याशी लाल सिंह वर्मा को 1 लाख 21 हजार 824 मत, कम मिलने से जीत कांशीराम को मिली थी। जब कि मुलायम सिंह यादव की जनता पार्टी से लडे रामसिंह शाक्य को मात्र 82624 मत ही मिले थे।

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मुलायम सिंह का कांशीराम के प्रति यह आदर अचानक उभर कर सामने आया था जिसमें मुलायम सिंह ने अपने खास रामसिंह शाक्य की पराजय करने में कोई गुरेज नहीं किया था, इस हार के बाद रामसिंह शाक्य और मुलायम सिंह के बीच मनुमुटाव भी हुआ लेकिन मामला फायदे नुकसान के चलते शांत हो गया ।

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कांशीराम की इस जीत के बाद उत्तर प्रदेश में मुलायम और कांशीराम की जो जुगलबंदी शुरू हुई। मुलायम सिंह यादव ने खुद की पार्टी यानि समाजवादी पार्टी गठन किया और बसपा से तालमेल किया । 1993 में समाजवादी पार्टी ने 256 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी ने 164 सीटों पर विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और पहली बार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की सरकार बनाने में कामयाबी भी हासिल कर ली । उत्तर प्रदेश में 1995 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व मे सरकार बनी।

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लेकिन 2 जून 1995 को हुये गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा बसपा के बीच बढी तकरार इस कदर हावी हो गई कि दोनो दल एक दूसरे को खत्म करने पर अमादा हो गये। लेकिन नये बदले मिजाज के तौर पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच गठबंधन को लेकर चल रही जुगलबंदी एक नया संदेश दे रहा है इटावा मे इस नये संदेश की आहट का एहसास अभी से शुरू हो गया है ।

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