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देश में 1974 जैसे आंदोलन की जरूरत : समाजवादी पार्टी

लखनऊ, समाजवादी पार्टी ने देश में जयप्रकाश नारायण के 1974 में शुरू किये गये आंदोलन की तरह एक वैसे ही आंदोलन की जरूरत बताई और आज कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार कोरोना के मुकाबले के नाम पर गरीबी को नहीं, मजदूरों, श्रमिकों , बेरोजगारों, किसानों और गरीबों को मिटा देने पर तुली है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने यहां कहा कि सरकारें अपने अनियोजित और मनमाने फैसलों से आम आदमी को प्रतिदिन मौत के मुँह में ढकेल रहीं हैं। देश को आर्थिक तबाही के मोड़ पर पहुँचा दिया गया है । इसलिए इनके खिलाफ आज 1974 से भी बड़े छात्र युवा आन्दोलन की जरूरत है।

उन्होंने छात्रों और नवजवानों से आग्रह किया है कि वे पांच जून को सम्पूर्ण क्रांति दिवस के अवसर लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद करें और मजदूर, श्रमिक, बेरोजगारों, किसानों और गरीबों की रक्षा के लिए लाकडाउन नियमों का पालन करते हुए 1974 से भी बड़े आंदोलन की तैयारी करें।

श्री चौधरी ने कहा है कि देश और राज्य सरकारों की कारपोरेट समर्थक नीति के कारण देश पहले से ही महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी और आर्थिक मंदी से जूझ रहा था। किसान रो रहा था। अल्पसंख्यक और धर्मनिरपेक्ष लोग शासन के संरक्षण में भीड़ हिंसा का शिकार हो रहे थे। बैंक दिवालिया हो रहे थे। कोरोना को लेकर विदेशों से आने वाले देश में बिना जांच पड़ताल के चारो तरफ आ जा रहे थे और देश तथा राज्यों की कुछ सरकारें विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बाद भी ट्रम्प के स्वागत और मध्यप्रदेश कब्जा की राजनीति में लगी रहीं तो कुछ सरकारें अपने दलीय हितों में।

इस अनियोजित और अचानक लाकडाउन से देश एक ऐसे आर्थिक तबाही के दौर से गुजर रहा है जिसकी कल्पना करने से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस अनियोजित और अचानक किए गए लाकडाउन से 15 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं । किसान खेत में अपना उत्पाद नष्ट करने को मजबूर है। रोज कमाने खाने वाली देश की बड़ी आबादी भुखमरी की चपेट में है। राज्य सरकार और भारत सरकार की देखरेख में चल रही ट्रेनों में 80 मजदूर भूख प्यास से मर गए।

श्री चौधरी ने कहा है कि इन सरकारों ने उन लोगों के ख़िलाफ़ भी मुकदमा दर्ज कराया है जो रास्ते में मजदूरों की मदद कर रहे थे । उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने 1974 में एक और नारा दिया था,सरकार निकम्मी है लेकिन यह देश हमारा अपना है। इसकी तस्वीर बदलने को लाखों आंखों में सपना है।

हम सभी लोग इस नारे को याद करते हुए दुखी जनों को फिर से नई जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करें, स्वदेशी अपनाएं और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में कम से कम एक पौधा जरूर रोपें।