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खूंखार अजगरों का आशियाना बना ये जिला, अजगरों के खौफ से चंबल घाटी थर्रायी

इटावा , अजगर का नाम सुनते ही बदन मे कंपकंपी दौड़ जाती है। जबकि चंबल घाटी क्षेत्र इन दिनो अजगरों का आशियाना बना हुआ है। हाल के दिनो में इटावा मे मवेशियों और जंगली जानवरो को अजगर का निवाला बनाती दर्जनो तस्वीरे सामने आयी है।

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वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक इटावा मे पिछले एक दशक के दौरान 500 से अधिक अजगर निकल चुके है । करीब दो फुट से लेकर 20 फुट और पांच किलो से लेकर 80 किलो से अधिक वजन वाले अजगर निकले है। चंबल घाटी के यमुना तथा चंबल क्षेत्र के मध्य तथा इन नदियों के किनारों पर सैकड़ों की संख्या में अजगर हैं हालांकि इन अजगरों की कोई तथ्यात्मक गणना नहीं की गई है ।

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दशकों तक खूखांर डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात रहा चंबल घाटी क्षेत्र इन दिनो अजगरों के खौफ से थर्राया हुआ है।अजगरों की दहशत क्षेत्र में इस कदर व्याप्त है कि आसपास के क्षेत्रों में ग्रामीणों ने अपने मवेशियों को घरों में ही बांधना शुरू कर दिया है।  उनको देख कर ऐसा लगने लगा है कि मानो यह चंबल ना होकर बल्कि अजगरो का सबसे बडा आशियाना बन गया है।

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चकरनगर वन रेंज के वन रक्षक रोहित कुमार बताते हैं कि बरसात के दिनों में स्थिति इस तरह से बिगड़ चुकी है कि हर दूसरे तीसरे दिन एक या दो अजगर गांव में निकल रहे हैं । जिससे लोगो को खासी परेशानी हो रही है ।इटावा के प्रभागीय निदेशक वन सत्यपाल सिंह का कहना है कि गांव वाले ग्रामवासी घर से निकलने से पहले सतर्कता बरतें और सुबह शाम विशेष रूप अलर्ट रहने की आवश्यकता है ।

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उनका कहना है कि अजगर ऐसा सांप है जो सामान्यता लोगो को नुकसान नही पहुचाता है लेकिन जब उसकी जद मे कोई आ जाता है तो बचना काफी मुश्किल हो जाता है ।अजगरो के शहर की ओर आने के पीछे मुख्य कारण जंगलो का खासी तादात मे कटान माना जा रहा है कटान के चलते अजगरो के वास स्थलो को नुकसान हो रहा है इसलिये अजगरो को जहा भी थोडी बहुत हरियाली मिलती है वही पर अजगरो अपना बसेरा बना लेते है।

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उन्होने कहा कि अजगर एक संरक्षित जीव है।यह मानवीय जीवन के लिए बिलकुल खतरनाक नहीं है लेकिन सरीसृप प्रजाति का होने के कारण लोगों की ऐसी धारणा बन गई और इसकी विशाल काया के कारण लोगों में अजगर के प्रति दहशत फैल गई है । हिंदुस्तान में इस प्रजाति के अजगरों की संख्या काफी कम है, यही कारण है कि इन्हें संरक्षित घोषित कर दिया गया है। पकडे जाने के बाद छोटे बडे अजगरो को संरक्षित वन क्षेत्रो मे सुरक्षात्मक तौर पर छोड दिया जाता है ।

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श्री सिंह ने बताया कि अजगरों के शहरी क्षेत्र में आने की प्रमुख वजह यह है कि जंगलों के कटान होने के कारण इनके प्राकृतिक वास स्थल समाप्त होते जा रहे हैं। जंगलों में जहां दूब घास पाई जाती है, वहीं यह अपने आशियाने बनाते हैं। अब जंगलों के कटान के कारण दूब घास खत्म होती जा रही है। इसके अलावा अजगर अपने वास स्थल उस स्थान पर बनाते हैं जहां नमी की अधिकता होती है परंतु जंगलों में तालाब खत्म होने से नमी भी खत्म होती जा रही है।