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राजा भैया अपनी राजनीतिक सिल्वर जुबली वाले दिन, लखनऊ मे करेंगे ये बड़ा धमाका

लखनऊ, कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर सुर्खियों में हैं। राजा भैया के राजनीति में 25 साल पूरे हो रहे हैं और इस दिन वह लखनऊ मे बड़ा धमाका करेंगे।

योगी सरकार  मे शासन-सत्ता से दूरी हो जाने के बाद, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया  काफी दिनों से अपने लिए नई सियासी जमीन तलाश रहे थे। इसी बीच 30 नवंबर को राजा भैया के राजनीति में 25 साल पूरे हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इसी बहाने राजा भैया अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं। अब उन्होंने नई पार्टी बनाने का फैसला किया है। नवरात्रि में नई पार्टी के गठन के बाद राजाभैया 30 नवंबर को लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में अपनी ताकत दिखाएंगे, जिसके लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।

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राजा भैया को जोड़तोड़ की सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। भाजपा और सपा सरकार में मंत्री रह चुके रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लगातार आठवीं बार विधायक हैं। 1993 से वह कुंडा से निर्दलीय जीतते आ रहे हैं। 1997 में भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार में वह पहली बार मंत्री बने थे। 2003 में भाजपा-बसपा गठबंधन की सरकार के समय राजाभैया 37 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। उन्होंने मुलायम सिंह का समर्थन कर दिया था। माना जाता है कि सभी दलों के राजपूत विधायक राजा भैया को अपना नेता मानते हैं।

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2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह चर्चा तेज थी कि राजा भैया भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। पूर्व मंत्री राजा भैया के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं से करीबी रिश्ते हैं। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से वह लगातार उनके संपर्क में रहे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान वोटिंग को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से रिश्तों में आई खटास के बाद इस कयास को और बल मिला, लेकिन राजा भैया भाजपा में शामिल नहीं हुए।

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योगी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल न होने के बाद राजा भैया के नयी पार्टी बनाने के कदम को नए सियासी दांव के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर राजा भैया के समर्थकों ने दो महीने से उनके पार्टी बनाने को लेकर अभियान छेड़ रखा था। लोगों से पूछा जा रहा था कि आखिर राजा भैया को क्या करना चाहिए। भाजपा में शामिल होना चाहिए, सपा के साथ रहना चाहिए या फिर अपनी पार्टी बनानी चाहिए। आखिर में राजाभैया के नई पार्टी बनाने के फैसले पर मुहर लगी। अब तक निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले राजा भैया सवर्णों-पिछड़ों को गोलबंद कर नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। नवरात्र के दौरान इसकी घोषणा हो सकती है।