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वैज्ञानिकों ने विकसित की अस्थायी अस्पताल या क्वारंटीन सेंटर बनाने की आसान तकनीक

वैज्ञानिकों ने विकसित की अस्थायी अस्पताल, क्वारंटीन सेंटर बनाने की तकनीक

नयी दिल्ली, 29 जून (वार्ता) वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं ने मिलकर अस्थायी इमारत बनाने की नयी तकनीक विकसित की है जिसका इस्तेमाल अस्पताल या क्वारंटीन केंद्र बनाने में किया जा सकता है।

अत्याधुनिक पदार्थों एवं प्रसंस्करण से जुड़े अनुसंधान करने वाली प्रयोगशाला एम्प्री, भोपाल और इमारत निर्माण तकनीक पर अनुसंधान करने वाली सीबीआरआई, रुड़की के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस तकनीक को विकसित किया है। आज एक समारोह में ‘जनता टेंट एंड इवेंट्स’, भोपाल को यह तकनीक हस्तांतरित की गई। एम्प्री के निदेशक डॉ. अवनीश कुमार श्रीवास्तव और मध्य प्रदेश सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अनिल कोठारी इस मौके पर मौजूद थे। सीबीआरआई के निदेशक डॉ. एन. गोपालकृष्णन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें हिस्सा लिया।

एम्प्री के निदेशक डॉ. अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने फोन पर ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि जहां कहीं भी खाली जमीन हो वहां पांच से सात दिन में अस्थायी अस्पताल, क्वारंटीन केंद्र आदि खड़े किये जा सकते हैं। यह मेकशिफ्ट इमारत आंधी-पानी, तूफान आदि से पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। यह हर प्रकार के मौसम के अनुकूल है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौती और खतरे से निपटने के लिए यह तकनीक वरदान साबित हो सकती है। इस समय हमारी स्वास्थ्य सेवा काफी दबाव में है। आपात स्थिति से निपटने के लिए शीघ्र अस्पताल, आवास इमारतों के निर्माण की जरूरत है।

इस तकनीक में हल्के पूर्वनिर्मित एलुमिनियम पोर्टल्स का उपयोग किया जाता है जो कि फोल्डेबल और लगाने में आसान होते हैं तथा इनका इस्तेमाल एक जगह से हटाकर दूसरी जगह आसानी से किया जा सकता है। पहली बार ढांचा तैयार करने का खर्च तकरीबन 300 रुपये से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक आता है। उस ढाँचे का दुबारा इस्तेमाल करते समय सिर्फ सामान के परिवहन और श्रमबल की लागत लगती है।

खास बात यह है कि इसकी संरचना और आकार में जरूरत के हिसाब से परिवर्तन किया जा सकता है। कोविड-19 महामारी समाप्त होने के बाद उसी सामान का इस्तेमाल एग्जिबिशन हॉल बनाने, आपदा राहत के लिए अस्थायी शिविर तैयार करने में भी किया जा सकता है।

डॉ. कोठारी ने कहा कि इस प्रौद्योगिकी के प्रयोग से प्रदेश की कई समस्यायों का निवारण होगा और परिषद् इसके उपयोग को सुनिश्चित करने में सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने जोर देकर कर कहा कि यह तकनीक वर्तमान परिदृश्य में कम लागत के अस्पतालों के त्वरित निर्माण के द्वारा कोविड-19 की समस्यायों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी |

डॉ. गोपालाकृष्णन ने बताया कि विकसित तकनीक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है तथा बहुत कम समय में प्रभावित क्षेत्र में प्रयोग में लाई जा सकती है।

डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि अभी कई राज्यों में स्कूल-कॉलेजों या पंचायत भवन आदि में क्वारंटीन केंद्र बनाये गये हैं। इससे स्कूल-कॉलेज आदि खोलने में भी दिक्कत आयेगी। इसकी जगह खुले स्थान पर अस्थायी इमारत बनायी जा सकती है।