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शिवपाल का समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना, छोटे दलों का बड़ा ठिकाना

लखनऊ, समाजवादी पार्टी के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा कर छोटे दलों के लिये आशा की बड़ी किरण जगा दी है। साथ ही  मोर्चे की घोषणा के बाद से यूपी मे छोटे दलों का सियासी कद अपने आप बड़ा हो गया है।

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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के साथ कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने की संभावना दिख रही है। तो भाजपा के साथ अपना दल का अनुप्रिया गुट, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी साथ खड़ी नजर आ रहीं हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा कर इन बड़े दलों की गणित गड़बड़ा दी है।

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समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा से पूर्व की बात करें तो सभी छोटे दलों की मजबूरी थी कि वह या तो भाजपा का साथ पकड़े या फिर सपा-बसपा गठबंधन मे अपना भविष्य तलाशे। दोनों ही स्थितियों मे उनके लिये कोई बेहतर स्कोप नही था। क्योंकि  लोकसभा सीटों की शेयरिंग मे छोटे दलों को न तो भाजपा और नाही सपा-बसपा गठबंधन, सम्मान जनक हिस्सा देते। दोनों का ही रवैया ये होता कि छोटे दलों का समर्थन और वोट तो मिल जाये पर सीटे एक-दो ही देनीं पड़ें।

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लेकिन भाजपा और सपा-बसपा का ये खेल समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के अस्तित्व मे आने के बाद बिगड़ गया है। अब छोटे दलों के लिये यूपी मे एक बड़ा ठिकाना शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के रूप मे आकार ले रहा है। अगर भाजपा लोकसभा चुनाव मे अपना दल के अनुप्रिया गुट और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी को सम्मान जनक सीटें नही देतें तो वे  समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को पकड़ने मे देर नही करेंगे।

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यही बात समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर भी लागू होती है। राष्ट्रीय लोकदल, निषाद पार्टी, पीस पार्टी और कृष्णा पटेल की अपना दल अब महागठबंधन की मोहताज नहीं हैं। समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के तौर पर उनके सामने एक बेहतर विकल्प मौजूद है। साथ ही शिवपाल सिंह यादव के रूप मे एक एेसा नेता जो पहचान का मोहताज नही है और एक बड़ा सियासी अनुभव और कद रखता है।

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आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर, उत्तर प्रदेश में बड़े दलों की अहम भूमिका है तो छोटे दल भी कहीं कम नही हैंं। उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर छोटे दलों की अच्छी पकड़ मानी जाती है।  क्योंकि इन सीटों पर ये हर बड़े दल का खेल बिगाड़ सकतें हैं। साथ ही ये छोटे जिस बड़े दल के साथ खड़े हो गये तो उसकी  जीत में अहम किरदार साबित होंगे। लेकिन इस के साथ अब तीसरी संभावना ये होगई है कि अगर ये सारे एक स्थान पर आगये तो हर बड़े दल की लुटिया डुबो सकतें हैं।

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 शिवपाल सिंह यादव ने  समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के रूप मे, बड़ा दांव चलते हुये, इन्हे एक स्थान पर आने का बड़ा प्लेटफार्म देकर भाजपा, सपा और बसपा की गणित गड़बड़ा दी है। उन्होंने प्रदेश में सेक्युलर मोर्चा बनाने के साथ ही लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का भी ऐलान किया है। अब यदि शिवपाल सिंह यादव सभी छोटे दलों को  समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के झंडे तले लाने मे सफल हो जातें हैं तो शिवपाल सिंह की भविष्यवाणी अप्रत्याशित रूप से सच सिद्ध हो सकती है। उन्होने कहा है कि चुनाव बाद , समाजवादी सेक्युलर मोर्चा यूपी मे सबसे बड़ा दल होगा।

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