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सोहराबुद्दीन- प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में अब तक 61 गवाह मुकरे, अमित शाह सहित 15 आरोपित बरी

मुम्बई ,  सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में अभियोजन पक्ष के दो और गवाह आज यहां सीबीआई की एक विशेष अदालत के समक्ष अपने बयान से मुकर गये। इस तरह ऐसे गवाहों की संख्या अब 61 हो गई है। जिसमे 38 में से 15 आरोपित को अदालत बरी कर चुकी है जिनमें  भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा , राजकुमार पांडियन , दिनेश एम एन शामिल हैं।

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 अब उदयपुर पुलिस के पूर्व सब – इंस्पेक्टर हजारी लाल मीणा सीबीआई के न्यायाधीश एस जे शर्मा के समक्ष अपने बयान से पलट गये। सेवानिवृत्त मीणा ने अपने बयान में कहा था कि 24 दिसम्बर , 2006 की शाम को पुलिस अधीक्षक दिनेश एम एन ( मामले में एक पूर्व आरोपी ) ने उससे कैदियों प्रजापति और आजम खान की सुरक्षा के लिए पुलिस दल उपलब्ध कराने के लिए कहा था। इन कैदियों को अगले दिन उदयपुर जेल से अहमदाबाद की अदालत ले जाया जाना था।

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 मीणा के बयान के अनुसार पुलिस के पास सूचना थी कि प्रजापति फरार होने का प्रयास कर सकता है इसलिए दिनेश ने उससे कहा कि एक विशेष टीम उनकी सुरक्षा करेगी। हालांकि आज अदालत में मीणा ने इस तरह का कोई आदेश मिलने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानता कि प्रजापति की सुरक्षा किसने की या इसके लिए एक विशेष टीम गठित की गई थी।

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पुलिस के अनुसार प्रजापति उस समय फरार हो गया था जब उसे अहमदाबाद ले जाया जा रहा था और वह 28 दिसम्बर , 2006 को एक मुठभेड़ में मारा गया था। सीबीआई के अनुसार वह एक फर्जी मुठभेड़ में मारा गया क्योंकि वह इससे पहले एक फर्जी मुठभेड़ में शेख की मौत का चश्मदीद था।

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 आज अपने बयान से पलटने वाला एक अन्य गवाह गोविंद सिंह है जो उदयपुर के सूर्जापुल पुलिस स्टेशन में एक इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे। सिंह ने सीबीआई को बताया था कि उन्होंने पुलिस स्टेशन के ‘ रोजनामा ’ ( डायरी ) में चार पुलिस अधिकरियों के प्रस्थान के बारे में प्रविष्टि की थी। ये चार पुलिस अधिकारी दिनेश एम एन के निर्देश पर काम कर रहे एक विशेष कार्यबल का हिस्सा थे।

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 सीबीआई के अनुसार ये चार पुलिसकर्मी उस टीम का हिस्सा थे जो प्रजापति को अहमदाबाद लेकर गई थी। हालांकि सिंह ने आज अपने बयान से मुकरते हुए कहा कि उन्होंने रोजनामा में प्रविष्टि नहीं की थी। अदालत अब तक अभियोजन पक्ष के 88 से अधिक गवाहों के बयान ले चुकी है जिनमें से 61 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।

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 उल्लेखनीय है कि सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी नवम्बर , 2005 में गुजरात पुलिस के साथ हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गये थे। उनका सहयोगी और  चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति भी दिसम्बर , 2006 में गुजरात और राजस्थान पुलिस के साथ हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था। सीबीआई द्वारा आरोपित 38 लोगों में से 15 को बम्बई की अदालत बरी कर चुकी है जिनमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा , राजकुमार पांडियन , दिनेश एम एन और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ( गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री ) शामिल हैं।

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