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जातिवाद से परेशान होकर दलितों ने उठाया ये बड़ा कदम……

गुजरात,  जातिवाद से परेशान होकर 300  अधिक दलितों ने ये बड़ा कदम उठाया है.  गुजरात के उना तालुक के मोटा समाधिया गांव में रहने वाले दलित परिवारों ने रविवार को हिदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया है. इन दलितों में वो दलित भी शामिल हैं जिन लोगों को जुलाई 2016 में कथित तौर पर एक मरी हुई गाय की खाल उतारने के आरोप में कुछ गौरक्षकों ने आधा नंगा करके उना शहर में घुमाया था. बौद्ध धर्म अपनाने के पीछे का संदेश साफ है कि वह अब अपने समुदाय पर और ज्यादा अत्याचार सहने के लिए तैयार नहीं हैं.

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सूत्रों के अनुसार बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले गांव के इन लोगों के साथ आसपास के एरिया के करीब 300 और दलित भी जुड़ेंगे. इनका कहना है कि दलितों के खिलाफ लगातार जो अत्याचार हो रहे हैं उसी कारण से ये लोग बौद्ध धर्म अपना रहे हैं.

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 धर्म परिवर्तन करने के लिए पहले ज़िला प्रशासन से इज़ाजत लेनी पड़ती है और उसकी अनुमति के बाद ही ऐसा किया जा सकता है. अभी तक ज़िला प्रशासन को इस संदर्भ में दलितों की ओर से 300 फॉर्म मिल चुके हैं. हालांकि दलितों का कहना है कि कल  बुद्ध पूर्णिमा के दिन मोटा समाधिया गांव में होने वाले इस समारोह में और भी लोग शामिल होंगे. इस काम के लिए पोरबंदर से बौद्ध भिक्षुओं को आमंत्रित किया गया है. साथ ही स्थानीय नेताओं को भी इस समारोह में बुलाया गया है.

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 दो साल पहले 2016 में उना में घटित हुए दलितों को पीटने और आधा नंगा करके शहर में घुमाने की इस घटना से पीड़ित रमेश सरवैया ने  बताया  हम लोगों को सार्वजनिक रूप से पीटा गया और हमारी बेइज़्जती की गई. उस समय की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने भी कई वादे किए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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