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सांसद योगी को स्वीकारने वाला यह शहर, मुख्यमंत्री के रूप में क्यों नहीं स्वीकार पाया ?

गोरखपुर, सांसद के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को पिछले 22 सालों से स्वीकार करने वाला यह शहर मुख्यमंत्री के रूप में क्यों स्वीकार नहीं कर पाया ?

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गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव के नतीजे किसी असमान्य घटना से कम नहीं है और इस परिणाम को कई रूपों में देखा जा रहा है। योगी आदित्यनाथ के वार्ड में भाजपा को महज 86 वोट मिले जबकि सपा उम्मीदवर को 346 वोट प्राप्त हुए है।भारतीय जनता पार्टी अपने किले में जहां इस संसदीय उपचुनाव में हार गयी वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खेमे में उत्साह बना हुआ है।

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इसलिए यह परिणाम वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एक संदेश है। आज सुबह लोग हांथों में अखबार लेकर चाय की दुकानों, चौराहों, पार्कों आदि में इसी नतीजों का मंथन कर रहे थे और उनका कहना था कि सांसद के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को पिछले 22 सालों से स्वीकार करने वाला यह शहर मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर पाया।

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दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा था कि व्यापारी, शिक्षा मित्र और आंगनवाडी कार्यकत्रियों का लम्बा चाैडा आन्दोलन तथा कर्मचारियों की नाराजगी कही न कहीं योगी को भारी पडी है। इसके साथ ही गोरखपुर में मानबेला किसानों का आन्दोलन भी भाजपा के लिए भारी पडा है।

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भाजपा के सबसे अधिक वोट गोरखपुर शहर विधानसभा में है जहां पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार कम वोट पडें। पिछली बार लोक सभा चुनाव में भाजपा को इस विधान सभा क्षेत्र से एक लाख 22 हजार वोट मिले थे जो सपा उम्मीदवार से ज्यादा थें, लेकिन इस बार यहां से केवल 15 हजार वोटों की बढ़त मिल सकी। यही कारण था भाजपा मतगणना में लगातार पिछड़ती गई।

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मतगणना के दौरान कल सपा उम्मीदवार ने गिनती में धांधली की आशंका व्यक्त करते हुए कई बार विरोध किया था। योगी के खास डीएम लाख खुराफातों के बाद सीएम को सीट नही जितवा पाये।

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