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कॉलेजियम पर लगे आरोपों पर भारत के प्रधान न्यायाधीश खामोश, कहा विवाद सुलझा लेंगे

cj-ts-thakurनई दिल्ली, भारत के प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने  उम्मीद जताई कि कॉलेजियम की बैठकों में भाग लेने से न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर के इनकार के बाद उठे विवाद को सुलझा लिया जाएगा।प्रधान न्यायाधीश से शनिवार को जब कॉलेजियम के कामकाज से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर पहली प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संक्षिप्त जवाब में यहां कहा, ‘हम इसे सुलझा लेंगे।’

प्रधान न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं बोला। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायाधीशों की कॉलेजियम में शामिल और पांचवें सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने गुरुवार को होने वाली कॉलेजियम की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था। कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा हैं। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने न्यायमूर्ति ठाकुर को पत्र भी लिख कर कॉलेजियम की बैठकों में भाग लेने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए इसके कई आधार बताए थे।

इनमें यह भी शामिल है कि कॉलेजियम ‘अस्पष्ट’ और ‘अपारदर्शी’ तरीके से काम कर रहा है। इस घटनाक्रम के चलते कॉलेजियम की बैठक रद्द कर दी गई थी। यहां नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) में दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे सीजेआई ने निचली और अपीलीय अदालतों के स्तर पर न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या की कमी के मुद्दे को भी उठाया। न्यायाधीशों की कमी के कारण आपराधिक न्यायप्रणाली में सभी स्तरों पर तेज सुनवाई का मौलिक अधिकार नहीं मिल पा रहा है।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘तेज सुनवाई मौलिक अधिकार है और यह जीवन के अधिकार का हिस्सा है। लेकिन दुर्भाग्यवश कई कारणों से न्यायाधीशों की जितनी उचित संख्या होनी चाहिए, उसकी कमी है और इसका एक प्रमुख कारण हम सब जानते हैं। निचले स्तर पर या अपीलीय स्तर पर यह नहीं हो रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।’ उन्होंने युवा वकीलों से आज की दुनिया में वंचितों के लिए उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने को और संवैधानिक मूल्यों का वाहक बन कर बदलाव लाने की दिशा में काम करने को कहा।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अतिरिक्त पद सृजित करके, नियुक्तियां करके, बुनियादी ढांचा मुहैया कराके प्रणाली में सुधार और विशेष रूप से कायाकल्प करना समय की जरूरत है।’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘भारत के स्वतंत्रता संघर्ष समेत सामाजिक बदलाव की ज्यादातर ऐतिहासिक घटनाक्रमों में वकीलों की नेतृत्व की भूमिका रही है। इसलिए मैं, आप सभी से आशा रखता हूं जो कल के वकील हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक मूल्यों के सच्चे प्रहरी होंगे।’

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि वकीलों पर अक्सर मामलों के निस्तारण में देरी के लिए जिम्मेदार होने के आरोप लगते हैं जिससे न्याय पराजित होता है लेकिन ऐसे लोगों के लिए यह न तो पेशेवर रूप से और न ही नैतिक तरीके से उचित है जो न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। उन्होंने कहा, ‘बार के सहयोग से न्यायाधीशों का कार्य प्रदर्शन सुधरेगा क्योंकि न्याय की गुणवत्ता सीधे तौर पर वकीलों द्वारा न्यायाधीशों को दी जाने वाली सहायता की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।’ समारोह में प्रधान न्यायाधीश के साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर, जो एनएलयू के विजिटर भी हैं, उपस्थित थे। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी भाग लिया। दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी ने बीए एलएलबी (आॅनर्स) के 73, एलएलएम 47 और तीन पीएचडी छात्रों को डिग्रियां प्रदान कीं। न्यायमूर्ति रोहिणी विश्वविद्यालय की चांसलर भी हैं

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