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तम्बाकू के ‘सादे पैकेट’ पर चित्रमय चेतावनी क्यों है अधिक प्रभावकारी?

सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के तहत तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर, चित्रमय चेतावनी 01 जून 2009 से भारत में लागू हो पायी। पर इतना पर्याप्त नहीं है क्योंकि तम्बाकू महामारी पर अंकुश लगाये बिना असामयिक मृत्यु दर कम हो नहीं सकता। अब भारत को जन स्वास्थ्य के लिए, एक बड़ा कदम लेने की जरुरत है जो अनेक देशों में लागू है और तम्बाकू नियंत्रण में कारगर सिद्ध हुआ हैः ‘प्लेन पैकेजिंग’ या सादे तम्बाकू पैकेट पर अधिक प्रभावकारी और बड़ी चित्रमय चेतावनी की नीति अब भारत में भी पारित होनी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एकाकार गाढ़े भूरे रंग के अनाकर्षक तम्बाकू पैकेट  पर बड़ी और प्रभावकारी चित्रमय चेतावनी ज्यादा असरकारी होती है।

आशा परिवार के स्वास्थ्य को वोट अभियान के समन्वयक राहुल द्विवेदी ने कहा कि ‘प्लेन पैकेजिंग’ या सादे पैकेट पर, कोई ब्रांड, ब्रांड सम्बंधित छवि या शब्द आदि, कॉर्पोरेट ‘लोगो’ या ट्रेडमार्क आदि छापने की अनुमति नहीं होती है। हर तम्बाकू कंपनी को ब्रांड का नाम सामान्य ‘फॉण्ट साइज’ में एक ही जगह पर लिखना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इंग्लैंड, आयरलैंड, नॉर्वे, हंगरी, स्लोवेनिया, स्वीडन, फिनलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में ‘प्लेन पैकेजिंग’ या सादे पैकेट वाला कानून लागू है, या विचारणीय है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत और वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि तम्बाकू उत्पाद पर चित्रमय चेतावनी जन स्वास्थ्य के लिए अधिक प्रभावकारी होती हैं। वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि   को पारित कर के भी 180 से अधिक देशों ने यह वादा किया है कि चित्रमय चेतावनी और व्यापक तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को लागू किया जाएगा। सीएनएस   की प्रधान संपादिका शोभा शुक्ला ने बताया कि प्लेन पैकिजिंग या सादे पैकेट पर चित्रमय चेतावनी अनेक देशों में लागू हो चुकी हैः तम्बाकू पैकेट एकाकार गाढ़े भूरे रंग के होते हैं और अत्यधिक बड़ी चित्रमय चेतावनी पैकेट के आगे-पीछे दोनों भाग पर होती है।

इसकी विशेषता यह है कि पैकेट पर कोई भी ब्राण्ड डिजाइन आदि नहीं हो सकती और चेतावनी साफ नजर आती है। तम्बाकू उद्योग ब्राण्ड, डिजाइन, विज्ञापन आदि के जरिए पॉकेट को आकर्षित बनाता आया है। इसलिए प्लेन पैकिजिंग के जरिए तम्बाकू उद्योग की भ्रामक और धूर्त बाजार नीति को झटका लगता है। न्यूजीलैंड में मजबूत प्लेन पैकेजिंग कानून पारित:- हाल ही में न्यूजीलैंड ने प्लेन पैकिजिंग  पर, दुनिया का अब तक का सबसे सख्त और मजबूत कानून बनाया। निर्माता या आयातकर्ता को 14 मार्च 2018 से प्लेन पैकिजिंग लागू करनी होगी और विक्रयकर्ता को 12 हफ्ते बाद 6 जून 2018 से प्लेन पैकिजिंग लागू करनी होगी।

न्यूजीलैंड में नई चित्रमय चेतावनी भी लागू होगी जिससे कि हर तम्बाकू उत्पाद पैकेट के सामने वाले भाग के 75 फीसदी जगह पर चित्रमय चेतावनी हो और पीछे वाले भाग के 100 फीसदी जगह पर चित्रमय चेतावनी प्रकाशित हो। ऑस्ट्रेलिया ने प्लेन पैकिजिंग को 01 अक्टूबर 2012 से लागू किया। 01 अक्टूबर 2012 से निर्मित हुए तम्बाकू उत्पाद पर प्लेन पैकिजिंग कानूनी रूप से जरूरी हुई और 1 दिसम्बर 2012 से ऑस्ट्रेलिया में बिकने वाले हर तम्बाकू उत्पाद पर प्लेन पैकिजिंग कानूनी रूप से लागू की गयी। ऑस्ट्रेलिया ने जब प्लेन पैकिजिंग या सादे पैकेट पर चित्रमय चेतावनी लागू की तो उसको तम्बाकू उद्योग के भीषण प्रतिरोध का सामना करना पड़ा पर अंततः ऑस्ट्रेलिया सरकार और जन स्वास्थ्य की जीत हुई।

तम्बाकू उद्योग ने ऑस्ट्रेलिया की प्लेन पैकिजिंग नीति में कमियां ढूंढ कर अपने बाजार और मुनाफे को बचाने का असफल प्रयास किया। न्यूजीलैंड ने इन कमियों को दूर कर सख्त कानून बनाया। न्यूजीलैंड के प्लेन पैकिजिंग कानून की चंद खास बातें: -तम्बाकू ब्राण्ड का नाम सिर्फ एक लाइन में प्रकाशित हो, 50 मिलीमीटर से अधिक लम्बा न हो और 14 ‘फॉंट साइज’ से अधिक इस्तेमाल न हो -ब्राण्ड के साथ ‘टैग लाइन’ या विविधताध्विशेषता  सिर्फ एक लाइन में प्रकाशित हो, 35 मिलीमीटर से अधिक लम्बा न हो और ‘फॉंट साइज 10’ से अधिक उसको प्रकाशित करने में उपयोग न हो -सिगरेट की लम्बाई 7 मिलीमीटर से कम न हो और उसका व्यास 9 मिलीमीटर से अधिक न हो -सिगरेट पैकेट में सिर्फ 20 या 25 सिगरेट ही हो भारत समेत अन्य देश जहां पर प्लेन पैकिजिंग कानून अभी नहीं पारित हुआ है उनको न्यूजीलैंड से अधिक मजबूत कानून बनाना चाहिए।

न्यूजीलैंड से अधिक सख्त प्लेन पैकिजिंग कानून में यह सुझाव भी शामिल हो सकते हैं जिससे कि तम्बाकू महामारी पर मजबूती से अंकुश लग सके: -तम्बाकू पैकेट के साथ साथ अंदर सिगरेट आदि का रंग भी एकाकार गाढ़ा भूरा रंग हो -खुली तम्बाकू, सिगरेट के छोटे पैकेट या 1 सिगरेट की खुली बिक्री पर सख्त नियंत्रण या रोक लगे सरकार कैसे करेगी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के वादे पूरे? भारत समेत 190 से अधिक देशों की सरकारों ने सतत विकास लक्ष्यों  को पारित कर यह वादा किया है कि गैर संक्रमण रोगों से होने वाली असामयिक मृत्यु दर, 2025 तक 25 फीसदी और 2030 तक एक तिहाई कम होगा। भारत सरकार की हाल ही में पारित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 का भी वादा है कि गैर संक्रामक रोगों से होने वाली असामयिक मृत्यु दर 2025 तक 25 फीसदी कम होगा। चूंकि तम्बाकू सेवन जानलेवा गैर संक्रामक रोगों का खतरा अनेक गुना बढ़ाता है, बिना सख्त तम्बाकू नियंत्रण के असामयिक मृत्यु दर कम कैसे होगा?

सीएनएस अध्यक्ष और लोरेटो कान्वेंट की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका शोभा शुक्ला ने कहा कि ष्तम्बाकू सेवन में जब तक गिरावट नहीं आएगी, जब तक तम्बाकू सेवन शुरू करने वालों की संख्या शून्य नहीं होगी और तम्बाकू व्यसनी नशा मुक्त नहीं होंगे, तब तक तम्बाकू जनित हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास रोग, आदि के दर में कमी कैसे आएगी? यदि गैर संक्रामक रोगों के असामयिक मृत्यु दर में गिरावट लानी है तो तम्बाकू नियंत्रण एक अनिवार्य जन स्वास्थ्य कदम है। स्वास्थ्य को वोट अभियान, आशा परिवार और सीएनएस ने भारत सरकार से अपील की कि प्लेन पैकिजिंग या सादे पैकेट पर चित्रमय चेतावनी कानून पारित पर दक्षिण एशिया में भारत एक अनुकर्णीय मिसाल स्थापित करे।