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प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर अत्यंत गंभीर आरोप लगाए, उन्हें माफी मांगनी चाहिए-मायावती

mayawatiनई दिल्ली, बड़े नोटों को अमान्य करने के मोदी सरकार के निर्णय के खिलाफ विपक्ष के तीखे तेवर अब भी जारी हैं। नोटबंदी के कारण आज भी संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में गतिरोध देखने को मिला। नोटबंदी पर पीएम मोदी की टिप्पणी की लेकर विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया। राज्यसभा में आज सुबह कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। पीएम नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में मौजूद रहने की मांग पर अड़े रहे और शोर शराबा किया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने कहा है कि यदि प्रधानमंत्री लोकतंत्र में यकीन रखते हैं तो उन्हें संसद आना चाहिए और बहस में भाग लेना चाहिए एवं नोटबंदी पर विपक्ष की चिंताओं पर जवाब देना चाहिए।

कालेधन को लेकर की गई प्रधानमंत्री की एक कथित टिप्पणी को लेकर बिफरे विपक्ष ने आज राज्यसभा में हंगामा किया और प्रधानमंत्री से माफी की मांग की जिसके कारण उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग करते हुए कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। दूसरी ओर सत्ता पक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए नारे लगाने लगे। हंगामे के कारण उप सभापति पी जे कुरियन ने करीब 11 बजकर 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बैठक शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने सदन के पूर्व सदस्य दीपेन घोष के निधन की जानकारी दी और सदस्यों ने कुछ पल मौन रहकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए गए। लेकिन तभी बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज सुबह पूरे विपक्ष पर आरोप लगाया है कि उसे अपना काला धन सफेद करने का समय नहीं मिला।

यह अत्यंत निंदनीय टिप्पणी है और प्रधानमंत्री ने ऐसा कहकर पूरे विपक्ष का अपमान किया है जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कल नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य सदस्यों ने साफ शब्दों में कहा था कि विपक्ष काले धन के खिलाफ है तो फिर प्रधानमंत्री यह आरोप कैसे लगा सकते हैं कि विपक्ष काले धन का पक्षधर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने कहा प्रधानमंत्री यह आरोप कैसे लगा सकते हैं। हम कालेधन के खिलाफ हैं और प्रधानमंत्री को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। इसी बीच कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे।

हंगामे के बीच ही कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। उन्होंने कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट अमान्य किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें आजाद की ओर से नियम 267 के तहत एक नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं तो वह नोटिस स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। आजाद ने कहा कि नोटिस में यह शर्त है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं, पूरी चर्चा सुनें और उसका जवाब दें। उन्होंने कहा कि कल जब प्रधानमंत्री सदन में आए थे तब उन्होंने पूरे विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का स्वागत किया था और पूछा था कि क्या वह नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा लेने आये हैं या प्रश्नकाल के लिए आए हैं। कुरियन ने कहा कि सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल ही स्पष्ट कर दिया था कि प्रधानमंत्री आएंगे और चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। इस पर असहमति जताते हुए आजाद ने कहा कि हमसे वादा किया गया था कि प्रधानमंत्री बहस खत्म होने तक सदन में रहेंगे। लेकिन वह चले गए और भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर नहीं आए।

विपक्ष के नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री का आरोप है कि विपक्ष काले धन का पक्षधर है। यह सदन का और पूरे विपक्ष का अपमान है। हमने जब कहा है कि हम काले धन के खिलाफ हैं, जब पूरे विपक्ष ने कहा है कि वह काले धन के खिलाफ है तो प्रधानमंत्री ऐसा कैसे कह सकते हैं। प्रधानमंत्री को इसके लिए पूरे सदन से माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि नोटबंदी के ऐलान से पहले सरकार की ओर से पूरी तैयारी नहीं होने की आलोचना करने वालों को इस बात की पीड़ा है कि उन्हें खुद तैयारी का समय नहीं मिला। अगर उन्हें 72 घंटे तैयारी के लिए मिल गये होते तो वह प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे होते। जदयू के शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर अत्यंत गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पूरे विपक्ष को काले धन का समर्थक बताने से अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि कल सदन में बहुत ही अच्छी चर्चा हुई जिसमें सदस्यों ने कालेधन का खुल कर विरोध किया। अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि वह साधु हैं और हम सब शैतान हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष पर काले धन का समर्थक होने का आरोप लगाने के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए। कुरियन ने सदस्यों से शांत होने और बहस को आगे बढ़ाने की अपील की लेकिन प्रधानमंत्री से माफी की मांग को लेकर आसन के समक्ष कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की नारेबाजी तथा सत्ता पक्ष के सदस्यों की प्रधानमंत्री के पक्ष में की जा रही नारेबाजी जारी रहने के कारण सदन में हंगामा होने लगा।

सदन में व्यवस्था बनते न देख कुरियन ने 11 बजकर करीब 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सुबह प्रधानमंत्री द्वारा एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान की गई टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने पूरे विपक्ष पर गंभीर आरोप लगा दिया। राज्यसभा, लोकसभा, राज्यों की विधायिकाओं (विधानसभा एवं विधान परिषद) में विपक्षी सदस्य हैं। विपक्ष पर जब इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाएंगे तो विपक्ष चुप नहीं रह सकता। आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। हंगामे के बीच ही संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी यह कहते हुए सुने गए कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता बल्कि माफी तो विपक्षी सदस्यों को मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई तर्क, कोई तथ्य, कोई मुद्दा नहीं है और वह बेवजह हंगामा कर कार्यवाही को बाधित करता है।

प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। बल्कि विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए और देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। इसी बीच कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। सत्ता पक्ष के सदस्य अपने स्थान से आगे आ कर प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए नारे लगाने लगे। सभापति अंसारी ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने करीब 12 बजकर पांच मिनट पर ही बैठक को दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। उधर, लोकसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों का हंगामा जारी रहने के चलते लोकसभा की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। बड़े नोटों को अमान्य करने के मोदी सरकार के निर्णय के विरोध में लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण आज भी प्रश्नकाल बाधित रहा।

सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के 20 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष सदन के कार्य स्थगित करके मतविभाजन वाले नियम 56 के तहत तत्काल चर्चा कराने की मांग के साथ आज एक समारोह में नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का विरोध कर रहे थे। सरकार का कहना है कि यह कदम कालाधन, भ्रष्टाचार और जाली नोट के खिलाफ उठाया गया है और वह नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार है हालांकि विपक्षी दल कार्य स्थगित करके चर्चा कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सदन में मौजूदगी की मांग करने के साथ ही विपक्षी सदस्य एक सामारोह में नोटबंदी पर मोदी के बयान का विरोध कर रहे थे। इस विषय पर अपनी मांग के समर्थन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने एक समारोह में प्रधानमंत्री के बयान पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कहा, वह ठीक नहीं है। उन्हें सदन में बोलना चाहिए क्योंकि सत्र चल रहा है।

मोदी ने आज सुबह एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि नोटबंदी के फैसले से पहले तैयारी नहीं होने की सरकार की आलोचना कर रहे लोगों की पीड़ा यह है कि उन्हें खुद तैयारी का वक्त नहीं मिला। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों को प्रधानमंत्री सदन में आओ, प्रधानमंत्री सदन में बोलो के नारे लगाते सुना गया। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया और सदन की कार्यवाही चलाने का प्रयास किया। इस दौरान कुछ प्रश्न भी लिये गए और संबंधित मंत्रियों ने उसके जवाब भी दिये। हालांकि विपक्षी सदस्यों का शोर शराबा जारी रहा। व्यवस्था बनते नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के 20 मिनट बाद 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन में उस समय अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई जब एक व्यक्ति ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के ठीक बाद दर्शकदीर्घा से नीचे कूदने का प्रयास किया लेकिन सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ कर काबू में कर लिया।

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