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जानिए महिलाओं को क्यों नही आती है नींद

girl3अनिद्रा और कम नींद उन समस्याओं में से है जिनसे महिलाएं अक्सर ग्रस्त रहती हैं। एक अनुमान के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अनिद्रा एवं नींद से जुड़ी समस्याएं दोगुनी होती है और इन समस्याओं के कारण उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे वे कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाती हैं। अनिद्रा यानी इनसोमनिया से ग्रस्त महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर, दिल के दौरे और ब्रैन हेमरेज जैसी जानलेवा समस्याओं से ग्रस्त हो सकती हैं। अनिद्रा की बीमारी से यूं तो करीब एक तिहाई आबादी ग्रस्त है लेकिन महिलाओं में इस बीमारी का प्रकोप बहुत अधिक है। हर दूसरी-तीसरी महिला को रात-रात भर नींद नहीं आने की शिकायत होती है। हालांकि नींद नहीं आने के कई कारण हैं लेकिन मौजूद समय में महिलाओं पर खास कर शहरी महिलाओं पर घर-दफ्तर की दोहरी जिम्मेदारी आने के कारण उत्पन्न तनाव और मानसिक परेशानियों ने भी ज्यादातर महिलाओं की आंखों से नींद चुरा लिया है।

वहीं, नौकरीपेशा एवं महत्वाकांक्षी महिलाओं में शराब एवं सिगरेट का फैशन बढ़ने से भी उनमें यह बीमारी बढ़ी है। इसके कई कारण हैं जिनमें खास हार्मोन का बनना, अधिक जिम्मेदारियां होना, डिप्रेशन और एंगजाइटी जैसी मानसिक समस्याएं अधिक होना आदि प्रमुख है। अक्सर कई महिलाओं में यह देखा गया है कि उन्हें नींद आने में दिक्कत होती है तथा बीच रात में या बहुत सबेरे नींद खुल जाती है। इसका इलाज नहीं होने पर दिन भर थकान रहने, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, कार्य क्षमता में कमी, दुर्घटना या चोट लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अनिद्रा की शिकार महिलाओं को रोजाना सात-आठ घंटे की नींद जरूरी है लेकिन अगर अच्छी और गहरी नींद आए तब चार-पांच घंटे की नींद ही पर्याप्त होती है। महिलाओं में कम नींद आने के अलावा नींद के दौरान पैरों में छटपटाहट  और नींद से उठकर खाना खाने की समस्या अधिक पायी जाती है।

अक्सर महिलाएं नींद से संबंधित परेशानियों को नजरअंदाज करती हैं लेकिन उन्हें इन समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और चिकित्सकों से संपर्क करना चाहिए क्योंकि नींद की कमी के कारण लोगों, खास तौर पर युवकों में डायबीटीज, हाई ब्ल्ड प्रेशर, दिल से संबंधित रोग या मोटापा जैसी कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इस पर ध्यान नहीं दिए जाने के परिणाम घातक भी हो सकते हैं। भरपूर नींद लेने से हमारी शारीरिक ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। नींद हमारे दिमाग और शरीर के लिए कई तरह से जरूरी है। नींद की स्वस्थ आदत किसी भी उम्र के व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसकी बेहतरी के लिए आवश्यक है। नींद से जुड़ी खरार्टे की समस्या भी प्रमुख है। लेकिन यह समस्य पुरुषों में अधिक पाई जाती है लेकिन अधिक वजन की महिलाओं के अलावा रजोनिवृत महिलाओं को यह समस्या हो जाती है।

अनिद्रा अर्थात इनसोमनिया की बीमारी कई रूपों में सामने आती है। आम तौर पर यह किसी छिपी बीमारी का लक्षण है। इनसोमनिया किसी भी उम्र में हो सकती है और महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी होती है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से काफी अधिक ग्रस्त रहती हैं। इनसोमनिया कई कारणों से हो सकती है जिनमें से एक कारण रेस्टलेस लेग सिन्ड्रॉम है। ऐसे रोगियों की टांगें नींद में छटपटाती रहती है, जिससे दिमाग के अंदर नींद में बार-बार व्यवधान पड़ता है और बार-बार नींद खुलती रहती है। अधिक समय तक इस बीमारी से ग्रस्त रहने पर मरीज डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है क्योंकि इनसोमनिया के लक्षण उसे मानसिक रोगी बना देते हैं। इनसोमनिया की पहचान इसके लक्षणों से ही हो जाती है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए रोगी की नींद का अध्ययन करना जरूरी है क्योंकि जब तक रोगी की नींद का अध्ययन नहीं किया जाएगा बीमारी की गंभीरता का भी पता नहीं चल पाएगा। शयन अध्ययन  के दौरान मरीज की हृदय गति, आंखों की गति, शारीरिक स्थिति, श्वसन मार्ग की स्थिति, ब्ल्ड फ्लो आदि का मॉनीटर किया जाता है। इससे यह पता लग जाता है कि रोगी को सोने के समय क्या दिक्कत आती है। अनिद्रा स्वयं में बीमारी ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारी या बीमारियों का लक्षण भी है और इसलिए इनसोमनिया का इलाज करने के लिए उसके मूल कारण को जानना और उस कारण का इलाज करना आवश्यक है।