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बचपन में दांतों की अनदेखी पड़ सकती है जिंदगी पर भारी

माता-पिता होना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि आपको बहुत जिम्मेदार होना होता है और अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ख्याल रखना होता है। बच्चे के स्वास्थ्य का ख्याल रखना मुश्किल है पर उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।बच्चों की संपूर्ण स्वास्थ्य की देखभाल के साथ यह आवश्यक है कि मुंह के स्वास्थ्य काख्याल रखने पर भी ध्यान दिया जाए। हर किसी को चाहिए कि वह बच्चों के दांतों के स्वास्थ्य और हाईजीन (साफ-सफाई) की महत्ता जाने। आप भी अपने बच्चे के मुंह का अच्छा स्वास्थ्य और हाईजीन सुनिश्चित कर सकते हैं। पेश हैं कुछ महत्वपूर्ण चीजें जो आपको जानना चाहिए। जो बता रहे हैं क्लिनिकऐप्प के सीईओ,श्री सत्काम दिव्य।

बच्चे अच्छा और बुरा नहीं जानते हैं। वे किसी भी चीज को मुंह में रख सकते हैं। कई अन्य कारणों से आपके बच्चे के दांतों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। बहुत सारे लोग बच्चों के मामले में स्वास्थ्यकर उपायों को नजरअंदाज कर देते हैं। वे समझते हैं कि पहली बार आए दांत तो गिरने ही हैं। लेकिन दांतों का ख्याल रखने से संबंधित ऐसी महत्वपूर्ण बातों को नजरअंदाज करने से दांतों ख़राब होंगे और दांतों में प्लेक और मसूड़ों की बीमारियां होंगी। कम उम्र में ही दांत खराब होने का असर यह होगा कि बाद में आने वाले दांत भी खराब या प्रभावित होंगे और भविष्य में दांतों की ढेरों समस्याएं खड़ी हो जाएंगी।

बच्चों में पाई जाने वाली दांतों की आम समस्याएं बच्चों में पाई जाने वाली दांतों की सबसे आम समस्या डेंटल कैरीज (dental caries) की है जो दांतों की संरचना को क्षतिग्रस्त कर देता है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे के दांतों का क्षरण न हो और वह वह मसूड़े की बीमारियों से बचा रहे तो आपको अपने बच्चे के लिए स्वास्थ्यकर व्यवहारों का चुनाव करने की जरूरत है।

प्लेक : प्लेक एक सफेद परत है जो दांतों पर जमा हो जाती है। खाद्य पदार्थों और लार व बैक्टीरिया के मिलने से बनने वाली यह परत दांतों पर जमा हो जाती है। जब यह लंबे समय तक जमा रहती है तो इसका रंग पीला हो जाता है और धीरे-धीरे दांतों का क्षरण शुरू हो जाता है।

दांतों का क्षरण: खाने की चीजें जब दांतों में फंसी रह जाती हैं तो इनपर बैक्टीरिया का हमला होता है। इससे खाद्य पदार्थ टूट जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि दांतों में छोटे सुराख और कैविटी बन जाती हैं।

मसूड़ों की बीमारी : प्लेक लंबे समय तक बना रहे और उसे एक्सपोजर मिले तो जो संक्रमण होता है उससे मसूड़ों में सूजन होता है और यह दांतों की शक्ति को उल्टे ढंग से प्रभावित करता है। यानी सूजन जितना ज्यादा दांत उतने कमजोर।

सांसों में बदबू : दांतों में फंसे खाद्य पदार्थ, प्लेक, बैक्टीरिया के बढ़ने और मसूड़ों के संक्रमण से सांसों में बदबू आती है जो कई बार बहुत ज्यादा होती है और बर्दाश्त के काबिल नहीं होती है। मुंह से आती बदबू आपके बच्चे को मानसिक रूप से भी प्रभावित करेगी। अगर ऐसी चीजें बचपन में न हों तो आप भी खतरे को नजरअंदाज कर सकते हैं। सुनिश्चित कीजिए कि अपने बच्चे के लिए स्वस्थ्य व्यवहार की शुरुआत करें ताकि आपके बच्चे के मुंह की देखभाल की जा सके।

स्वस्थ आदते बचपन से अपनाएं दांतों को स्वस्थ और स्वास्थ्यकर बनाए रखने के लिए निम्नलिखित आदतों को प्रोत्साहित करें मुंह के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यकर आदतों की शुरुआत बचपन से ही कीजिए बचपन से ही बच्चों के दांतों और मसूड़ों को साफ करने के लिए साफ कपड़े का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। एक बार जब बच्चे के दांत दिखने लगें तो अनुशंसित औषधि वाले घोल का उपयोग कीजिए और मुंह के अंदर के हिस्से को साफ कर दीजिए क्योंकि ब्रश का उपयोग नहीं किया जा सकता है। मसूड़ों और दांतों को हल्के से पोंछिए और उस परत को साफ कीजिए जो मुंह के अंदर बन जाती है और कोमल तथा चिपचिपा होता है। यह मसूड़ों को प्रभावित करने के मुख्य कारणों में एक है।

सही टुथब्रश का चुनाव कीजिए एक बार जब ऊपर-नीचे दांत दिखने लगें तो आपको वाश क्लॉथ की जगह टुथ ब्रश का उपयोग शुरू करने की जरूरत है। बच्चों के मसूड़े बहुत कोमल होते हैं और ऐसे में किसी भी टुथब्रश का उपयोग करना ठीक नहीं है। आप अपने टुथ ब्रश का भी उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि उसके शूक सख्त होते हैं और बच्चे के कोमल मसूड़ों के लिए तकलीफदेह होंगे। यही नहीं, बड़ा ब्रश छोटे बच्चे के लिए ठीक नहीं रहेगा। आपको छोटा ब्रश लेना होगा जिसके शूक कोमल हों और दांतों व मसूड़ों को सरलता से साफ करें। शुरुआती चरण में आपको अपने बच्चे को सिखाना होगा कि वह टुथब्रश का उपयोग कैसे करे जिससे उसे घाव-जख्म नहीं हो। एक बार सर्वश्रेष्ठ तरीका बता दिया जाए तो आप अपने बच्चे को खुद दांत साफ करने दे सकते हैं। लेकिन उस पर नजर रखेंगे। अपने बच्चे को रोज दो बार ब्रश करने की जरूरत बताइए। अपने बच्चे को अपनी पसंद का टुथब्रश चुनने दीजिए पर सुनिश्चित कीजिए कि वह सुरक्षित होगा कि नहीं।

सही टुथपेस्ट चुनिए बाजार में भिन्न ब्रांड के कई तरह के टूथब्रश उपलब्ध हैं। पर ये सभी उत्पाद आपके बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। उत्पाद की पसंद इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें किन चीजों का उपयोग किया गया है। मसाला फ्लेवर वाले या अत्यधिक मीठे टुथब्रश का उपयोग नहीं करें। सर्वश्रेष्ठ सुझाव के लिए आप दांतों के किसी डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही सुनिश्चित कीजिए कि टुथपेस्ट की मात्रा सही हो। तीन साल की आयु के बाद आप ज्यादा टुथपेस्ट का उपयोग करने दे सकते हैं। बच्चे को बताइए कि टुथपेस्ट निगलते नहीं हैं।

ब्रश करने की तकनीक दांतों की स्थिति अच्छी बनाए रखने के लिए हरेक बच्चे को ब्रश करने की सबसे अच्छी तकनीक सीखना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक दांत को अच्छी तरह साफ किया जाना चाहिए। ऊपर से नीचे और अंदर-बाहर सब। सर्वश्रेष्ठ तकनीक से फंसे हुए खाद्य पदार्थ को निकालने में मदद मिलेगी। जब आपका बच्चा ब्रश कर रहा हो तो उसे कुछ महीने तक देखिए और आवश्यक जानकारी दीजिए। बड़ा होकर वह इसे जारी रखेगा/रखेगी।

ज्यादा चीनी खाने से रोकिए दांतों का स्वास्थ्य बनाए रखने में आहार में चीनी की मात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को कैंडीज, मिठाइयां, चॉकलेट और कई अन्य मीठे खाद्य पदार्थ पसंद होते हैं। इससे उनके दांतों को काफी नुकसान हो सकता है क्योंकि मीठी चीजें दांतों में फंस जाती हैं जिससे बैक्टीरिया और प्लेक को मौका मिलता है। सुनिश्चित कीजिए कि जब कभी वे मीठा खाएं, अच्छी तरह मुंह साफ करें।

हर महीने दांतों की जांच अपने बच्चे को हर महीने दांतों के डॉक्टर के पास ले जाइए। बच्चों के दंत चिकित्सक कुछ जांच करेंगे और दांतों की स्थिति अच्छी बनाए रखने के सर्वश्रेष्ठ उपाय सुझाएंगे। अगर आवश्यक हुआ तो बेहतर देखभाल के लिए दांतों के डॉक्टर उपचार बताएंगे।

मुंह को अच्छी तरह साफ करना मुंह को अच्छी तरह साफ करना सर्वश्रेष्ठ व्यवहार है। आप दवा मिले हुए किसी घोल का उपयोग कर सकते हैं जिससेकुल्ला करने पर बैक्टीरिया मर जाते हैं और ताजगी बनी रहती है।