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पीएम केयर्स निधि को लेकर संसद मे सरकार ने दी सफाई

पीएम केयर्स निधि में पारदर्शिता का अभाव नहीं : सरकार

नयी दिल्ली, सरकार ने लोकसभा में आज कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में बहुत खामियां थीं जिसे देखते सरकार ने इस साल 27 मार्च को पीएम केयर्स फंड का गठन किया और इसमें पारदर्शिता को पूरा महत्व दिया गया है।

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में शनिवार को ‘कराधान और अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का सरलीकरण और संशोधन) विधेयक, 2020 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इस निधि में पैसा देने वाले कई सामान्य लोगों का नाम लिया और इसमें दान करने वाले सभी का आभार जताते हुए कहा कि इसमें प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री तथा गृह मंत्री को पदेन सदस्य बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान जिन सदस्यों ने इसमें पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए हैं, उन्हें समझ लेना चाहिए कि इसमें स्वतंत्र आडिट की व्यवस्था है और वही कंपनी इसकी ऑडिट करती है जो प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष की ऑडिट कर रही है। इसमें जमा पैसे का इस्तेमाल कहां होना है, इसके बारे में एक समिति बनायी गयी है और समिति मिलकर जो निर्णय लेगी, मद का उसी हिसाब से निस्तारण किया जाएगा। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को रखा गया है।

वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि पीएम केयर्स फंड किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सरकारी स्तर से कहीं पैसा नहीं दिया जाता है और यह चेरिटिबल ट्रस्ट है। इसको लेकर किसी तरह का सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि इस फंड का गठन पूरी तरह से कानून के दायरे में और नियमों के तहत किया गया है।

उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड पंजीकृत संस्था है जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष पंजीकृत नहीं है। जिस तरह से पारदर्शिता केयर्स फंड में बरती गयी है, वह पारदर्शिता कोष में नहीं है। इसलिए केयर्स फंड का गठन हुआ है। केयर्स फंड में पदेन सदस्य होते हैं जबकि कोष में इस तरह की व्यवस्था नहीं है। कोष में प्रधानमंत्री के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष तथा टाटा कंपनी के सदस्य को रखा गया है जो अनुचित है।