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हाईकोर्ट ने 13 हजार शिक्षकों की जांच रिपोर्ट पेश करने के दिये निर्देश

नैनीताल,  उत्तराखंड में फर्जी शिक्षक प्रकरण सरकार की गले की फांस बन गया है। उच्च न्यायालय का रूख इस मामले में दिन प्रतिदिन सख्त होता जा रहा है। न्यायालय ने बुधवार को शिक्षा महकमे को एक और मौका देते हुए 13 हजार शिक्षकों की जांच रिपोर्ट के नतीजे सोमवार तक अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की युगलपीठ में हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित दमुवाढूंगा की स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत में आज शिक्षा निदेशक आरके कुंवर (प्राथमिक शिक्षा) पेश हुए। उन्होंने अदालत से कहा कि शिक्षा महकमा 13 हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करवा चुका है। जांच रिपोर्ट के नतीजे वह सोमवार तक अदालत में पेश कर देंगे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता त्रिभुवन पांडे ने बताया कि अदालत ने शिक्षा विभाग की मांग को मान लिया और सोेमवार को जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है। इससे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि प्राइमरी शिक्षा के तहत प्रदेश में कुल 33065 शिक्षक तैनात हैं। इनमें प्रधानाचार्य, सहायक अध्यापक एवं 766 शिक्षक मित्र शामिल हैं। सभी शिक्षकों की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक के अलावा बीएड, बीटीसी, डीएलएड, सीपीएड एवं उर्दू शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करानी आवश्यक है। इस प्रकार कुल 132260 दस्तावेजों की जांच करानी प्रस्तावित होगी। इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से तीन साल का वक्त लगेगा।

सरकार के इस जवाब से अदालत संतुष्ट नजर नहीं आयी और इसके बाद उन्होंने शिक्षा निदेशक को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये। इसके अलावा अदालत कई बार इस मामले को निजी एजेंसी के हवाले करने की मंशा जाहिर कर चुकी है। अब सोमवार को देखना है कि शिक्षा महकमा क्या जवाब पेश करता है।

यहां यह भी बता दें कि सरकार की ओर से कहा गया है कि अभी तक की जांच में प्रदेश में 87 फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आ चुके हैं। ये सभी फर्जी दस्तावेजों के बल पर शिक्षक की नौकरी हथिया चुके हैं। इनमें 61 के खिलाफ कार्यवाही की जा चुकी है। सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि तीन शिक्षकों के दस्तावेज एसआईटी जांच में फर्जी पाये गये थे लेकिन विभागीय जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार इस पूरे प्रकरण में लापरवाही बरत रही है।