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ये कांशीराम की बहुजन समाज पार्टी तो नहीं, सत्ता के लिये विचारधारा की तिलांजलि ..?

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी  की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चुनावी शंखनाद कर दिया है।

लखनऊ में मायावती ने बसपा मुख्यालय में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को संबोधित किया। बसपा मुख्यालय में ब्राह्मण समाज की इस सभा में शंख बज रहे थे, मंत्रोच्चारण हो रहा था, त्रिशूल लहराए जा रहे थे और गणेश की प्रतिमाएं नजर आ रही थीं। मायावती के संबोधन से पहले जय श्री राम और जय परशुराम के नारे लगाए गए। इसके साथ-साथ  ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु,महेश है’, का नारा भी लगाया गया।

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“जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” , “वोट हमारा, राज तुम्हारा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।” , “जो बहुजन की बात करेगा। वह दिल्ली पर राज करेगा।” , “ बाबा तेरा मिशन अधूरा, कांशीराम करेंगे पूरा।” जैसे नारे गायब थे। कांशीराम ने पहली बार भारतीय आबादी का 85-15 का आंकड़ा दिया था। कांशीराम की बनाई गई ‘85 बनाम 15′ नंबर की चाबी कहीं नजर नही आ रही थी। बाबा साहेब डा0 भीमराव अंबेडकर, ज्योति बा फूले, काशीराम की विचारधारा की  कहीं चर्चा तक नही। संविधान  के अनुसार देश चलाने और आरक्षण बचाने की कोई बात ही नहीं ।  सोशल इंजीनियरिंग की ऐसी दुर्गति पहले कभी नही देखी जो अब बस ब्राह्मणों पर आकर ठहर गई है। ब्राह्मणों को लुभाने के सारे हथकंडे अपनाने का खेल और उनके वोट के लिये कुछ भी कर गुजरने का वादा ही बसपा के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य नजर आ रहा था।

अनायास ही एक बसपा के एक मिशनरी समर्थक के मुंह से निकला कि ये वो बहुजन समाज पार्टी तो नही..जिसे कांशीराम जी ने अपने खून से सींचा था।  कांशीराम ने कहा था – “अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और मुसलमानों को मिलाकर पचासी प्रतिशत आबादी होती है और ब्राह्मण, ठाकुर व बनिया मिलाकर पंद्रह प्रतिशत। लेकिन ये पंद्रह प्रतिशत लोग मिलकर हम पचासी प्रतिशत पर राज कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि 85 फीसदी बहुजन, ब्राह्मणों की जातिवादी व्यवस्था के कारण 6 हजार जातियों-उपजातियों में बंटे हुए हैं। उनको जोड़कर उन्होंने इन सभी को बहुजन नाम दिया था। तब उन्होंने नारा दिया था बहुजन हिताय बहुजन सुखाय। अंतर बस इतना है कि  कांशीराम पहले बहुजन को मजबूत देखना चाहते थे, जबकि मायावती ने बहुजन को मजबूत बनाए बिना सर्वजन का रुख कर लिया है। 

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 बीएसपी ने पूरे प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन किए हैं। इसका लखनऊ में आज समापन हुआ। समापन के मौके पर मायावती ने अपने संबोधन में  कहा, ‘बीएसपी ने ब्राह्मण समाज का हमेशा कल्याण किया है। उन्होंने कहा कि प्रबुद्ध किसी के बहकावे में न आए। पूरे प्रदेश में पहले हर विधानसभा क्षेत्र में 1 हजार ब्राह्मण कार्यकर्ता तैयार करना है और इसके लिए हमारे कार्यकर्ताओं को जुटना होगा। शहरों में प्रबुद्ध वर्ग की महिलाओं को भी सम्मेलन से जोड़ा जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी सतीश मिश्र की पत्नी कल्पना मिश्रा की टीम को दी जाती है। मायावती ने कहा कि बसपा सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की सोच वाली पार्टी है और बीएसपी की सरकार में किसी भी जाति धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया गया, खासकर के अपर कास्ट के लोगों के साथ।

संबोधन के दौरान मायावती ने 2007 के दलित-ब्राह्मण सोशल इंजीनियरिंग के दांव का भी बार-बार जिक्र किया। मायावती ने कहा, ‘हमने अपने पार्टी संगठन, चुनाव में टिकट देने पर और सरकार बनने पर मंत्री वगैरह बनाने के मामले में ब्राह्मण वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व दिया है। इन सब बातों का अहसास कराने और इन्हें फिर से पार्टी से जोड़ने के लिए मेरे निर्देश पर 23 जुलाई से प्रबुद्ध वर्गों की विचार संगोष्ठी का अयोध्या में आयोजन शुरू हुआ था। पहला चरण काफी सफल रहा है जिसका मेरे द्वारा आज समापन भी किया जा रहा है।