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मुलायम सिंह का मोदी-प्रेम भरा बयान, जानिये किसका फायदा और किसका नुकसान

 नई दिल्ली,  समाजवादी पार्टी  के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर और उनको दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का आशीर्वाद देकर, अप्रत्याशित रूप से सभी को चौंका दिया है।

 नरेंद्र मोदी के फिर प्रधानमंत्री बनने की मुलायम सिंह की ख्वाहिश उजागर होने से जहां भाजपा खेमे में खासा  उत्साह है, वहीं कांग्रेस और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी  लोहिया को भी नई ऊर्जा मिल गयी है। सबसे बुरी स्थिति सपा-बसपा गठबंधन की है।

लंबे समय तक भाजपा से लोहा लेने वाले और देश के संविधान के लिये और विवादित ढांचे की रक्षा के लिये कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह यादव को भारतीय राजनीति मे एक वरिष्ठ सेक्युलर नेता के रूप में जाना जाता हैं। मुलायम सिंह यादव वह नेता रहें हैं,  जिन्होंने कांग्रेस से मुसलमानों का मोहभंग कर , उन्हे अपना कट्टर समर्थक बना लिया है।

लेकिन मुलायम सिंह यादव के लोकसभा मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने और उनको दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का आशीर्वाद देने के बयान ने यूपी की राजनीति मे खासी हलचल पैदा कर दी है। मुलायम सिंह के बयानों से न केवल समाजवादी पार्टी को असहज किया है बल्कि उन नेताओं के लिए भी असमंजस पैदा किया है जो सांप्रदायिकता की लड़ाई मे मुलायम सिंह के साथ हैं।

इसका सबसे बड़ा असर सपा-बसपा गठबंधन पर पड़ेगा। अभी तक जो गठबंधन यूपी मे अजेय समझा जा रहा था, और बीजेपी जैसी पार्टी भी सहमी हुयी थी,  मुलायम सिंह के बयान के बाद वह किनारे लगता दिख रहा है। क्योंकि सपा- बसपा गठबंधन का सबसे बड़ा वोट बैंक, मुस्लिम असमंजस की स्थिति में आ सकता है।

यूपी की सियासत में यह बात मानी जाती रही है कि मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का झुकाव समाजवादी पार्टी या फिर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के प्रति दिखता है। अगर मुस्लिम सपा से छिटका तो एकमुश्त कांग्रेस के पाले में जा सकता है। एसी स्थिति मे वह कांग्रेस की ओर लौट सकता है या कुछ हिस्सा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी  लोहिया की ओर भी मुड़ सकता है।

सपा का ठोस वोट बैंक यादव भी सपा-बसपा गठबंधन से खिसक कर, शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की ओर रूख कर सकता है । खास तौर पर वह यादव मतदाता जो अभी तक मुलायम सिंह के नाम पर वोट देता आया है।

हकीकत यह है कि यूपी मे अभीतक सपा-बसपा गठबंधन की सीधी लड़ाई भाजपा से दिख रही थी, वह अब त्रिकोणीय हो गई है। कांग्रेस और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी जैसे दल जो अभी तक हाशिये पर पड़े थे वह अब मुस्लिम और यादव मतदाता के मोहभंग के कारण मुख्य लड़ाई मे आते दिक रहें है। एसी स्थिति मे कांग्रेस और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी  लोहिया का संभावित गठबंधन, यूपी की राजनीति मे चमत्कार दिखा सकता है।

मुलायम सिंह के बयान का असर केवल यूपी ही नही देश की राजनीति पर भी पड़ेगा। मुलायम सिंह यादव का यह बयान विपक्षी एकता के लिए आत्मघाती है। जब सारे दल मिल कर भाजपा को हटाने में लगे हैं, ऐसे वक्त में इस बयान ने विपक्षी एकता को चोट पहुंचायी है। बयान के बाद, देश में महागठबंधन की चल रही सियासी कवायद ठिठक सी गई दिखती है। वहीं भाजपा का उत्साह बढ़ गया है।