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मुलायम सिंह यादव के गांव में आजादी के बाद, पहली बार हुआ ये बड़ा परिवर्तन

लखनऊ,  समाजवादी पार्टी सरंक्षक सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गांव इटावा के सैफई में आजादी के बाद पहली बार दलित जाति का प्रधान निर्वाचित हुआ है ।

इस गांव में 50 वर्षों में पहली बार 19 अप्रैल को मतदान हुआ। आज हुई मतगणना मे मुलायम सिंह परिवार के समर्थित उम्मीदवार रामफल वाल्मीकि ने जीत हासिल की । रामफल की जीत का फासला भी बहुत बड़ा रहा । उन्हें कुल 3877 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंदी विनीता को सिर्फ 15 वोट ही मिल पाए।

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की वजह से सैफई हमेशा चर्चा में रहता है। पिछले 50 वर्षों में पहली बार यहां मतदान की नौबत आई । इसके पहले तक यहां के प्रधान पद पर निर्विरोध निर्वाचन ही होता था । 1971 से मुलायम सिंह के मित्र दर्शन सिंह यादव लगातार सैफई के ग्राम प्रधान निर्वाचित होते थे। पिछले साल 17 अक्टूबर को उनके निधन से यह सीट खाली हो गई । इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया । इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव के परिवार ने रामफल वाल्मीकि का समर्थन किया। रामफल को एकतरफा वोट मिले। पहली बार इस गांव में कोई दलित ग्राम प्रधान बना है।

रामफल बाल्मीकी ने विजय पत्र लेने के बाद दावा किया कि उनकी जीत मुलायम परिवार के आर्शीवाद का नतीजा है । उनका मकसद अब यह है कि वो आने वाले दिनो मे सैफई गांव मे नये सिरे से गांव के लिए काम करेगे ।

दलित जाति के आरक्षण होने के बाद एकमत होकर के रामफल बाल्मीकि को मुलायम परिवार ने प्रधान पद के लिए तय कर दिया था लेकिन एक अन्य महिला विनीता के नामांकन कर देने से सैफई में निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा पर ब्रेक लग गया। श्री यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले रामफल बाल्मीक को प्रधान बनाने के लिए पूरा सैफई गांव एकमत हो गया । इससे पहले कभी भी सैफई गांव में प्रधान पद के लिए मतदान नहीं हुआ । हमेशा से निर्विरोध प्रधान निर्वाचित होता रहा है ।

1971 से लगातार प्रधान निर्वाचित होते आ रहे दर्शन सिंह का पिछले साल 17 अक्टूबर को 1971 निधन हो गया । रामफल भी दर्शन सिंह की तरह ही मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं। 1967 से मुलायम सिंह यादव से जुडे रामफल बाल्मीकी की पत्नी इससे पहले कई दफा जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है ।