लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ा सवाल खड़ा करते हुये कहा है कि यह कैसी स्थिति है कि अब अपने देश में ही समाज को तोड़ा जा रहा है अपने ही देश की सरकार द्वारा। अखिलेश यादव आज पार्टी मुख्यालय, लखनऊ में वरिष्ठ शिक्षक सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
अखिलेश यादव ने कहा यह कैसी विडम्बना है कि तोड़ो और राज करो की कूटनीति हमेशा रही है। पर यह कैसी स्थिति है कि अब अपने देश में अपने ही देश की सरकार द्वारा समाज को तोड़ा जा रहा है । पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार प्रशासन का दुरूपयोग कर रही है। लोकतंत्र में सत्ता का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। सन् 2017 तक जो हुआ वह विकास का पत्थर है। अब जो हो रहा है वह सिवाय विनाश के कुछ नहीं है ।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा झूठे वादे करने और भटकाने की कला में माहिर है। मेक-इन-इण्डिया के नाम पर मेड-इन-चाईना का जोर है। बाजार चीनी सामान से पटा पड़ा है। वैश्विक स्तर पर भारत के विश्वविद्यालयों की गणना न होना शर्मनाक है। स्वदेशी आन्दोलन का बुरा हाल है। लोकतंत्र में जनता की बात सुनना सत्ता धारियों को पसंद नहीं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह अगर चीन का सामान ज्यादा आया तो हमारे इंजीनियर कहां खपेंगे? भाजपा ने आनलाईन पर इतना जोर दिया कि बच्चों तक के चश्में लग गए हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर, हार्ट, किडनी और डायबिटीज के मरीज भारत में हैं। इनके मुफ्त इलाज की व्यवस्था समाजवादी सरकार ने की थी लेकिन भाजपा ने स्वास्थ्य व्यवस्था भी चौपट कर दी। लखनऊ में जो कैंसर इंस्टीट्यूट बनाया था उसे भी भाजपा सरकार चालू नहीं कर पाई।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में शिक्षा व्यवस्था में सबसे ज्यादा गड़बड़ हो गई है। न शिक्षा सत्र नियमित है और नहीं शिक्षकों का सम्मान हो रहा है। सरकार को विद्यार्थियों की चिंता नहीं। नौजवान और शिक्षामित्र आत्महत्या कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की शिकायत तक नहीं सुनी जाती है। भाजपा के कारनामों से क्षुब्ध जनता भाजपा को हटाना चाहती है। उसका भरोसा सरकार पर नहीं रह गया है। इसलिए समाजवादी पार्टी चाहती है कि बैलट के जरिए चुनाव हो।
शिक्षाविदों ने कहा कि राजनीति में खोखलापन की स्थिति में उन सबकी आशा समाजवादी पार्टी और इसके अध्यक्ष अखिलेश यादव से ही है। उन्होंने सर्व प्रथम शिक्षकों-कर्मियों को सातवां वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन दिया था। भाजपा सरकार ने तो पेंशन ही रोक दी थी। शिक्षक समाज अपने विचारों से समाजवादी पार्टी का सहयोग करेंगे।