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अखिलेश यादव का ‘सुदामा’ कार्ड, बना चर्चा का विषय, बीजेपी के लिये बड़ा खतरा

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजनीति नई करवट ले रही है. वह हिंदुत्व से हटकर अब सामाजिक न्याय पर शिफ्ट होती दिखायी दे रही है. एेसे मे, अखिलेश यादव ने पिछले दिनों ब्राह्मण वोट बैंक को लुभाने के लिए जो ‘सुदामा’ कार्ड खेला है, वह अब चर्चा का विषय बन अपना प्रभाव दिखाने लगा है.

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समाजवादी पार्टी प्रदेश कार्यालय के डॉ लोहिया सभागार में पिछले दिनों समाजवादी प्रबुद्ध सभा द्वारा ‘वर्तमान राजनीतिक दिशा और समाजवाद की आवश्यकता ‘ विषय पर विचारगोष्ठी आयोजित की गई. इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रबुद्ध समाज ने हमेशा समाज और राजनीति को दिशा दी है. इस समाज ने हजारों वर्षों से रास्ता दिखाया हैं. भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का रिश्ता पुराना है. अब साइकिल-हाथी और शंख साथ-साथ रहेंगे.

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 सपा मुख्यालय पर आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन उनकी भविष्य की रणनीति पर इशारा कर रहा है. अखिलेश यादव के अनुसार,  द्वापर युग में सुदामा को कृष्ण की जरूरत थी और आज भी सुदामा को कृष्ण की ही जरूरत है. समाजवादियों को इस रिश्ते को मजबूत करना होगा. समाजवादी सरकार में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया. समाजवादी सरकार की विकास योजना में सबका ध्यान रखा गया था.

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 अखिलेश यादव  के इस ‘सुदामा’ कार्ड का ब्राह्मणों पर असर पड़ रहा है. दरअसल अखिलेश यादव की बिना भेदभाव वाली सरकार से ब्राह्मणों मे अखिलेश यादव को लेकर साफ्ट कार्नर पहले से ही है. बसपा से गठबंधन के बाद अखिलेश यादव भी अब विकास की बातों में पिछड़े, दलित का मिश्रण करने लगे हैं. जिससे लगा कि कहीं अखिलेश यादव का झुकाव और वर्गों से हट तो नही रहा है. लेकिन  ‘सुदामा’ कार्ड खेलकर अखिलेश यादव एकबार फिर सर्वप्रिय नेता बन गयें हैं.

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 लेकिन बीजेपी के लिये ‘सुदामा’ कार्ड  बड़ा खतरा बन गया है. योगी सरकार से नाखुश  ब्राह्मण, काम के मामले मे योगी की तुलना मे अखिलेश यादव को ज्यादा पसंद करता है. एेसे मे अगर लोकसभा चुनावों मे ब्राह्मणों का एक चौथाई वोट बैंक भी अगर अखिलेश यादव की ओर शिफ्ट कर गया तो बीजेपी के सपने चकनाचूर हो जायेंगे.

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