भाजपा का आज लखनऊ में यादव सम्मेलन, जानिये क्या है जमीनी हकीकत ?
September 15, 2018
लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी आज लखनऊ में यादव सम्मेलन कर रही है। पिछड़े वर्गों के तमाम जातियों के जातिवार सम्मेलन के बाद अाज 15 सितंबर को बीजेपी यादव कार्यकर्ताओं का सम्मेलन करने जा रही है।
भाजपा ने यादव समाज से आने वाले कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को इस सम्मेलन के लिए खासतौर पर तैयारी करने को कहा है। राजधानी लखनऊ मे यादव सम्मेलन के बड़े-बड़े होर्डिंग और कटआउट लग गयें हैं। बूथ लेवल से लेकर प्रदेश स्तर तक के यादव जाति के कार्यकर्ताओं को लखनऊ के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कहा गया है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इस सम्मेलन के बहाने यादव समाज के लोगों का दिल जीतना चाहती है।
जातियों मे यादव हिंदुओं मे सबसे ज्यादा आबादी वाली जाति है। उत्तर प्रदेश में करीब 14 फीसदी यादव वोट है और पिछड़ी जाति में इनकी लगभग तीस फीसदी हिस्सेदारी है। एेसे मे हर पार्टी चाहती है कि यादव वोट उसे मिले। लेकिन देखा जाये तो कभी किसी भी राजनैतिक पार्टी ने जनसंख्या मे सबसे विशाल यादव समाज के लिये कोई खास काम नही किया। आजादी के बाद से ही यादव समाज के विकास मे किसी भी राजनैतिक दल की कोई भूमिका नही रही।
यह देखा गया है कि आजादी के बाद अधिकांश यादव समाज का रूख सत्ता विरोधी रहा। कांग्रेस के विरोध मे रहने के कारण यादव समाज को सत्ता का लाभ नही मिला। 1977 के बाद कई राज्यों मे यादव समाज अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियों के साथ जुड़ा और सत्ता का लाभ भी प्राप्त किया। आज यादव समाज कई राज्यों मे बड़ी राजनैतिक ताकत है।
यूपी के आंकड़ों को देखा जाए तो यादव कांग्रेस विरोध के कारण चौधरी चरण सिंह के साथ रहा। 1977 के आम चुनाव मे जनता पार्टी के पक्ष मे यादव समाज रहा। तब भाजपा जनता पार्टी का ही हिस्सा थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के कार्यकाल मे यादवों ने पहली बार सत्ता का स्वाद चखा। मुख्यमंत्री रामनरेश यादव की कैबिनेट मे मुलायम सिंह सहकारिता मंत्री हुआ करते थे। उसके बाद से ही यादव समाज का बड़ा भाग मुलायम सिंह के साथ हो लिया। 2007 मे यादव समाज का बड़ा भाग मुलायम सिंह यादव से कटकर बसपा के साथ गया लेकिन बसपा के पूरे कार्यकाल मे यादव विरोधी रूख के कारण वह पलट कर मुलायम सिंह के पास आ गया। यादव समाज कभी भी भाजपा के साथ नही जुड़ा।
प्रदेश के बदलते समीकरण में भाजपा यादव समुदाय के लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही है। यादवों को जोडऩे को लेकर भाजपा ने हाल के दिनों में कई बड़े फैसले लिए हैं। मैनपुरी के पुराने नेता हरनाथ सिंह यादव को भाजपा ने हाल ही में राज्यसभा भेजा है। इसके साथ ही संगठन में युवाओं के सबसे बड़े संगठन भाजयुमो में सुभाष यदुवंश को भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में एकमात्र गिरीश यादव को राज्य मंत्री बनाया है। लेकिन यह सच है कि भाजपा सरकार मे आज भी यादव समाज के लोग हाशिये पर हैं। जाति के कारण थानों से लेकर तहसील तक यादव समाज का उत्पीड़न हो रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा के यादव सम्मेलन पर बड़ी चोट करते हुये कहा कि भाजपा एक तरफ यादव सम्मेलन कर रही है, दूसरी तरफ उन्हें नौकरी से निकाल दिया जा रहा है। यादवों के सामाजिक कार्यक्रमों से सरोकार रखने वाले अनुराग यादव का कहना है कि बेहतर होता भाजपा यादव सम्मेलन कराने के बजाय यादव समाज के हित मे कुछ काम करती। यादव समाज को सरकार और सत्ता मे उनकी आबादी के अनुपात मे भागीदारी देती। बड़ा दुर्भाग्य है कि आज यूपी की सरकार मे यादव समाज का एक भी कैबिनेट मंत्री तक नही है।
अनुराग यादव के अनुसार, अगर भाजपा को यादव वोट पाना है तो उसे यादवों के लिये मुलायम सिंह यादव से बड़ी लाईन खींचनी होगी। भाजपा मे जनाधार वाले यादव नेताओं को आगे बढ़ाना होगा जो कम से कम अपने समाज के आंसू पोंछ सकें। यादव समाज के लोगों का सरकारी स्तर पर उत्पीड़न रोके, यादव युवाओ के फर्जी एनकाउंटर बंद हों जांच के नाम पर यादव अफसरों को डराने और फंसाने का काम योगी सरकार बंद करे।