रामगोपाल यादव ने राज्यसभा में कहा कि देश में सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण से वंचित करने का काम अदालतें करती हैं, इसलिए पहले आरक्षण न्यायपालिका में लागू किया जाना चाहिए। रामगोपाल यादव ने कहा कि देश में हर जाति को उसकी आबादी के हिसाब से आरक्षण दे दिया जाना चाहिए, तब आरक्षण को लेकर विवाद ही खत्म हो जाएगा। सदन में पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले संविधान संशोधन विधेयक राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग विधेयक (निरस्त) 2017 पर चर्चा में भाग लेते हुए रामगोपाल यादव ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि उन्हें आशंका है कि इस विधेयक के कानून बनने से अन्य पिछड़ा वर्ग पर होने वाले अत्याचार रुक नहीं पाएंगे क्योंकि आप कितने भी आयोग बना लें, न्यायपालिका के निर्णय इसे बदल देंगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि अगर आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार मेरिट लिस्ट में भी टॉप करता है तो उसे आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी न कि सामान्य वर्ग में। इसका मतलब यह हुआ कि देश की 85 प्रतिशत आबादी को तो 49.5 प्रतिशत तक ही आरक्षण मिलेगा जबकि देश के 15 प्रतिशत वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
रामगोपाल यादव ने यह भी कहा कि आरक्षित वर्ग का कोई अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन भी लिया जाता है तो उसे प्रशिक्षण के लिए भेजा नहीं जाता। ऐसा सैकड़ों उम्मीदवारों के साथ होता हैं। उन्होंने अपना निजी अनुभव बताते हुए कहा कि उनके एक परिचित के पुत्र के साथ ऐसा ही हुआ, तब मुलायम सिंह यादव ने गृह मंत्री से कहा, तब उस उम्मीदवार को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। सपा सदस्य ने कहा कि इसलिए ही पहले न्यायपालिका में आरक्षण होना चाहिए नहीं तो आयोग बनाने से कुछ नहीं होगा, न्यायपालिका तो मंत्रिमंडल के फैसले को उलट देती है।