लखनऊ, यूपी, उत्तराखण्ड और पंजाब विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगने के बाद बीएसपी अध्यक्ष मायावती को आने वाले वक्त में एक और बड़ी चुनौती से दो चार होना पड़ सकता है. अंबेडकर जयंती से पहले मायावती को एक बड़ी चुनौती मिल सकती है. बीएसपी से अलग हुये कुछ नेता, कुछ और लोगों को तोड़कर एक नया दल बना सकतें हैं. संभावना यह है कि अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर, 13 अप्रैल को इसकी घोषणा हो सकती है.
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के पूर्व विधान परिषद सदस्य और मायावती सरकार में मंत्री रहे कमलाकांत गौतम और मायावती के पूर्व ओएसडी गंगाराम अंबेडकर ने 13 अप्रैल को लखनऊ मे बीएसपी से अलग हुये नेताओं, कार्यकर्ताओं का राज्य स्तरीय सम्मेलन बुलाया है. बीएसपी का असंतुष्ट धड़ा 13 अप्रैल को एक अलग राजनीतिक मंच बना सकता है. इस मंच को प्रदेश में बीएसपी के विकल्प के तौर पर पेश किए जाने की तैयारी चल रही है. पूर्व मंत्री कमलाकांत गौतम और मायावती के पूर्व ओएसडी गंगाराम अंबेडकर ने विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीएसपी से इस्तीफा दे दिया था.
सूत्रों के अनुतार, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पायी और अब यूपी, उत्तराखण्ड और पंजाब विधानसभा चुनाव में सिर्फ 19 सीटें जीत सकी है। ये तमाम बातें संकेत देती हैं कि कांशीराम द्वारा बनाई गई पार्टी का वोट बेस तेजी से सिकुड़ रहा है. जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है लेकिन बीएसपी अध्यक्ष मायावती को इसकी कोई परवाह नहीं है.
गंगाराम अंबेडकर ने बताया कि हमने उन सभी बीएसपी समर्थकों से साथ आने की अपील है जो पार्टी संस्थापक कांशीराम के बहुजन मिशन पर काम करना चाहते हैं. बाबा साहब की जयंती पर एक नया फोरम बनाया जाएगा.