नई दिल्ली, ई-कॉमर्स वैबसाइट स्नैपडील अगले 2 महीनों में अपने 30 फीसदी स्टाफ की छुट्टी कर ने की योजना बना रही है। कंपनी के इस कदम से सीधे तौर पर कंपनी में काम कर रहे 1,000 लोगों के प्रभावित होने की उम्मीद है। जबकि कांट्रेक्ट बेस पर कंपनी के साथ लाजिस्टिक में जुड़े हजारों कर्मचारियों पर भी इसका असर पड़ेगा। कंपनी के साथ काम करने वाले 2 कंसल्टैंट और एक एक्जिक्युटिव ने बताया, कंपनी की लॉजिस्टिक सब्सिडियरी वल्कन एक्सप्रेस के साथ काम करने वाले 5,000 ठेका कर्मचारियों में से 3,000 लोगों को नौकरी से निकाल सकती है। इस हफ्ते कंपनी ने मैनेजरों को कंपनी को राइट साइज बनाने के लिए कहा गया है।
कंपनी ने बताया कि वह अपने संसाधनों के सही प्रयोग का प्रयास कर रही है। हालांकि कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी किए जाने के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया है। कंपनी के एक प्रतिनिधि ने जवाब दिया, हम कंपनी का लाभ बनाए रखते हुए अपने बिजनैस को प्रभावी तरीके से चलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि हमारे विक्रेताओं और ग्राहकों को लाभ मिल सके। जैसा कि हम पहले भी कर चुके हैं, और सभी अच्छी कंपनियां करती हैं, हम अपने संसाधनों का सही प्रयोग करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि कंपनी की ग्रोथ बनी रहे।
जेस्पर इन्फोटेक में ई कॉमर्स मार्केटप्लेस स्नैपडील, पेमेंट प्लैटफॉर्म फ्रीचार्ज और लॉजिस्टिक व सप्लाई चेन वल्कन एक्सप्रेस को मिलाकर कुल 10,000 हजार कर्मचारी काम करते हैं। दिल्ली की एक ई-कॉमर्स फर्म के सीईओ ने कहा, स्नैपडील अपने टार्गेट को अचीव करने के लिए भयंकर दबाव में है क्योंकि उसके पास पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी कम संसाधन बचे हैं। सीईओ ने यह भी बताया कि पिछले 6 महीनों में उनकी कंपनी को स्नैपडील से काफी संख्या में ग्राहक मिले हैं।
एक सूत्र ने यह बताया कि कंपनी का एक इन्वेस्टर भारत में निवेश नहीं करा रहा है जिससे कंपनी पर डिस्काऊंट कम करने और स्टाफ की छंटनी करने का भारी दबाव है। कंपनी का स्टाफ पर होने वाला खर्च 2016 के वित्तीय वर्ष में 911 करोड़ पहुंच गया है जो पिछले साल के मुकाबले 148 फीसदी ज्यादा है। हालांकि 2015-2016 के वित्तीय वर्ष में कंपनी की कुल बिक्री में 56 फीसदी का इजाफा हुआ था लेकिन कंपनी का घाटा इससे लगभग दोगुना 2,960 करोड़ा का था। इस कारण कंपनी को पहले भी स्टाफ की छंटनी करनी पड़ी थी। जेस्पर इन्फोटेक अभी नई पूंजी की कमी से जूझ रही है। कंपनी को कई सीनियर एक्जिक्युटिव भी हाल में छोड़ चुके हैं।