लखनऊ, अब दुष्कर्म के आरोपी का बचना मुश्किल है। क्योंकि वर्तमान में रेप पीड़िता और आरोपी दोनों का मेडिकोलीगल कराया जाता है। दरअसल आरोपी के मेडिकोलीगल के दौरान उसके प्राइवेट पार्टस से भी दुष्कर्म की पुष्टि हो जाती है क्योंकि पुरुष का प्राइवेट पार्ट रफ होता है। ये बात विधि विज्ञान प्रयोगशाला के उप निदेशक डॉ. सुरेश चंद्रा ने कही।
उन्होंने बताया कि दुष्कर्म में तीन सुबूत बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। एक फिजिकल एवीडेंस, दूसरा बायोलॉजिकल और तीसरा केमिकल एवीडेंस है। जब फोरेंसिक और मेडिकोलीगल साक्ष्य अमिट होते हैं तब घटना स्थल से संकलित किए गए साक्ष्यों की फोरेंसिक लैब में रिपोर्ट तैयार की जाती है और उससे आरोपी की पहचान एकदम पक्की हो जाती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में कोर्ट में अपराधी का ट्रायल होता है। इस दौरान विधि विज्ञान प्रयोग शाला के उप निदेशक डॉ. एएम खान का कहना है कि मेडिकोलीगल व साक्ष्य संकलन किसी भी घटना अनावरण हेतु सबसे अहम तथ्य हैं।