इलाहाबाद, । बीजेपी की आगामी 12 जून से शुरू हो रही राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के ठीक पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित किये जाने की आवश्यकता बताए जाने पर यहां के वकीलों में उबाल आ गया है। शाह के बयान आते ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एशोसिएशन ने आपातकालीन बैठक बुलाकर शाह के बयान की निन्दा की और कहा कि यह न्याय प्रक्रिया को कमजोर करने की गहरी साजिश है। वकीलों ने कहा कि न्यायालय की पीठ स्थापित किए जाने का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। शाह के बयान के बाद वकीलों में पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 12 जून को यहां आने के मद्देनजर प्रशासन को और चौकस व्यवस्था करनी पड रही है। शाह ने गत छह जून को आगरा के वकीलों को आश्वासन दिया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित होनी चाहिए। केन्द्र सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। साल 2017 तक यदि पीठ स्थापित नहीं हुई तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर पीठ की स्थापना की जाएगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के महासचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष वकीलों को बांटने की कोशिश नहीं करें। उच्च न्यायालय की पीठ अब और नहीं बन सकती। बीजेपी अध्यक्ष ने अपनी नीति नहीं बदली तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का उनका सपना धरा रह जाएगा। सिंह ने बताया कि वकीलों ने तय किया है कि शाह के बयान के विरोध में वकील आवश्यकता पडी तो सडकों पर भी उतरेंगे।