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आतंकवादियो के साथ मुठभेड़ में शहीद जवान को राष्ट्रपति पुलिस पदक

सुलतानपुर,  सुलतानपुर जिले के निवासी सीमा सुरक्षा बल 156 बटालियन के शहीद महेन्द्र यादव को राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है।

शहीद को अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिये इस सम्मान से नवाजा गया है। उनके परिजनों को सीमा सुरक्षा बल के 24 मई को संपन्न वार्षिक अलंकरण समारोह में यह सम्मान दिया गया है।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शहीद की मां मर्यादी देवी को राष्ट्रपति के पुलिस पदक से अलंकृत किया । सुलतानपुर जिले के कादीपुर तहसील क्षेत्र के मलिकपुर नोनरा गांव के राम शब्द यादव के 23 वर्षीय पुत्र महेन्द्र यादव सात अगस्त 2016 की रात पाकिस्तानी सैनिकों के फायर में जवाबी कार्यवाई में शहीद हो गए थे,जिसके उपरांत शहीद के शव को उनके पैतृक गांव लाया गया था,मुड़िला डीह तिराहे पर उनको राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी,जहा पर उनके परिजनों के द्वारा शहीद स्मारक का निर्माण कर महेन्द्र यादव की आदम कद की प्रतिमा स्थापित की गई है।

राष्ट्रीय पर्व व विभिन्न अवसरों पर स्मारक स्थल पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। सीमा सुरक्षा बल के जारी पत्र के अनुसार,07/08 अगस्त 2016 की मध्यरात्रि 8-10 आतंकवादियों का एक समूह, खराब मौसम का फायदा उठाते हुए. पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा पार करके एफडीएल भूरीवाला के वाटर पॉइंट तक आया और 8 अगस्त 2016 को लगभग 05.45 बजे, आतंकवादियों ने ड्यूटी पर मोर्चे में मौजूद संतरियों पर स्वचालित हथियारों से भारी गोलीबारी की। इसके साथ ही पाकिस्तान की एफडीएल हसन ने भी एफडीएल पर फायरिंग शुरू कर दी। ड्यूटी पर तैनात संतरी हरिकेश मीना एवं आरक्षक तापस पॉल ने स्थिति को देखते हुए तुरंत जवाबी कार्रवाई की और एफआरपी में रहने वाले अन्य जवानों को सतर्क कर दिया। सीसुब और 17 सिख के शेष जवान, एफआरपी से बाहर आए एवं जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी।

उप निरीक्षक महेंद्र यादव, प्लाटून कमांडर अपनी स्टील से बाहर आ गए एवं अपनी जान की परवाह किए बिना जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। पोस्ट के अंदर आतंकवादियों के प्रवेश को विफल करने के लिए एक ग्रेनेड पूर्वी दिशा की और फेंका। भारी गोलीबारी के बावजूद महेंद्र एमएमजी मोर्चे की ओर बढ़े और आतंकवादियों पर एमएमजी और एलएमजी से गोलीबारी करने का निर्देश दिया। ऐसा करते समय, वह आतंकवादियों की गोली से बुरी तरह घायल हो गए, लेकिन उन्होंने दूसरा ग्रेनेड एफडीएल के पूर्वी हिस्से से, फिर से एफडीएल में जबरन प्रवेश करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों की ओर फेंका। वे अपने जीवन की अन्तिम सास तक डटे रहे और साथियों को तब तक प्रेरित करते रहे। उनका अतिम सांस तक अदम्य साहस, नेतृत्व और कर्तव्य के प्रति समर्पण उदाहरणात्मक और उनके अधीनस्थों के लिए अनुकरणीय है।

शहीद महेंद्र यादव पांच भाइयों में तीसरे नंबर के थे, सबसे बड़े भाई नरेंद्र यादव राजस्थान में प्राइवेट जॉब करते हैं,वहीं दूसरे नंबर के भाई सुरेंद्र यादव एवं चौथे नंबर के भाई वीरेंद्र यादव गांव में खेती किसानी का कार्य करते हैं, सबसे छोटे पांचवें नंबर के भाई जितेंद्र यादव को रक्षा मंत्रालय की संस्तुति पर बीएसएफ में आरक्षी के पद पर नियुक्त किया गया है।