दांपत्य जीवन की गाड़ी सही ढंग से चलती रहे, इसके लिए पहले से ही कोई बना बनाया नियम नहीं लागू होता। इसे तो आपसी समझदारी और सामंजस्य के साथ निभाना पड़ता है… कोई भी रिश्ता हो समझौता करना ही पड़ता है। दापंत्य जीवन में तो सबसे अहम् भूमिका निभाता है समझौता। यदि आप किसी बात पर अपने साथी से असहमत हैं तो भी ठंडे दिमाग से समस्या पर बातचीत करें। एक-दूसरे की बातों को गंभीरता से सुनें, इसके बाद ही कोई निर्णय लें। प्रत्येक सफल रिश्ते में विचारों का आदान-प्रदान सकारात्मक भूमिका निभाता है। कई अध्ययनों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि यदि पति-पत्नी के विचारों में असमानता होगी तो रिश्ता बोझिल बन जाएगा।
आर्थिक मामलों में सजगताः-दांपत्य जीवन में कटुता का एक बहुत बड़ा कारण बनते हैं आर्थिक मामले। पति-पत्नी के बीच न केवल मनमुटाव, बल्कि कई बार तो अलगाव तक का कारण बन जाते हैं आर्थिक मामले। इसलिए आर्थिक मामलों को लेकर आपस में उलझना ठीक नहीं। अगर आप दोनों अपनी-अपनी सेविंग्स की बातें आपस में साझा नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर एक साथी को पैसों की जरूरत है तो दूसरे को उसकी मदद करनी चाहिए।
अपने साथी पर यह आरोप लगाते हैं कि वह अपनी सेविंग्स के बारे में कोई बात साझा नहीं करते। ऐसे में मैं उनको यही सलाह देती हूं कि अलग-अलग सेविंग्स करना कोई गलत बात नहीं है। बस यह ध्यान रखें कि ऐसा न हो कि जरूरत के समय एक साथी परेशान हो रहा है और आपके पास सेविंग्स होते हुए भी आप उसकी आर्थिक मदद नहीं कर रहे हैं।
बच्चों में न उलझेंः-बच्चों की परवरिश या उनसे जुड़ी किसी अन्य बात को लेकर आपस में उलझें नहीं। बच्चों की बातों को लेकर उलझने से आपस में मनमुटाव ही पैदा होगा, जो न केवल आप दोनों के रिश्ते में खटास पैदा करेगा, बल्कि बच्चों पर भी गलत असर डालेगा। वे अपने मन में तरह-तरह की धारणाएं बनाने लगते हैं। इसका नतीजा यह होगा कि बाद में वे आप दोनों की बातों को अनसुना करने लगेंगे।
आपसी तकरारः-यह कहावत तो आपने भी सुनी होगी कि जहां चार बर्तन होते हैं, वहां खटपट की आवाज तो आती ही है, लेकिन दांपत्य जीवन में यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी खटपट की आवाज घर के बाहर नहीं जानी चाहिए। आपस में नोकझोंक या तकरार होना स्वाभाविक बात है। बस यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी नोकझोंक या तकरार बड़े झगड़े का रूप न ले। वैसे आपसी झगड़े से बचने का सही तरीका यह है कि जब एक किसी बात पर क्रोधित हो तो दूसरे को संयमित होकर उसकी बात सुन लेनी चाहिए। अगर आपको यह महसूस हो रहा है कि सामने वाला गलत बात कह रहा है तो कुछ देर पश्चात या अगले दिन आप अपने साथी को परामर्श दे सकते हैं कि फलां बात सही नहीं थी, सही बात यह है…।
पसंद का ख्यालः- दांपत्य में यह जरूरी नहीं कि दोनों की पसंद एक जैसी ही हो। अगर पसंद एक जैसी नहीं है तो एक-दूसरे की पसंद का ख्याल रखना पति-पत्नी दोनों की जिम्मेदारी है। कई बार पसंद में खलल पडने पर दूसरा क्रोधित हो सकता है। उदाहरण के लिए आपको नए जमाने का संगीत पसंद है या आपको सीरियल देखना अच्छा लगता है, लेकिन आपके साथी को पुराना संगीत अच्छा लगता है या क्रिकेट मैच देखना पसंद है। ऐसे में तकरार से बचने का सही तरीका यह है कि कभी आप उनके लिए समझौता करें तो कभी आपके साथी को समझौता करना चाहिए। इससे आपस में कभी भी मनमुटाव पैदा नहीं होगा।
एक-दूसरे की तारीफ करनाः- अक्सर आपने भी यह महसूस किया होगा कि हम दूसरों की तो खुलकर तारीफ करते हैं, लेकिन जब बात अपने साथी की आती है तो हम यह भूल जाते हैं कि हमारे साथी को भी तारीफ और प्रोत्साहन की जरूरत होती है। वह भी एक जीता-जागता इंसान है, कोई मशीन नहीं। हममें से बहुत से लोगों को यह ध्यान ही नहीं होगा कि उन्होंने अपने साथी के रंग-रूप, गुणों, उसके कार्र्यों या उसके द्वारा बनाए गए खाद्य पदार्र्थों की कब तारीफ की थी। इसलिए अगली बार दूसरों की तारीफ करने से पहले एक बार अपने साथी की तारीफ जरूर करें। तारीफ का न केवल शरीर पर, बल्कि दिमाग पर भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। हेल्थ एक्सपट्र्स का भी कहना है कि तारीफ मिलने से और अच्छा काम करने की चाहत पैदा होती है।