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आरक्षण नीति विवाद पर हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर: महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर,  पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को आरक्षण नीति पर चल रही बहस को बहुत ही गंभीर मुद्दा करार दिया और कहा कि मौजूदा संरचना के अंतर्गत हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।

महबूबा मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा कि “छोटी उम्र से, बच्चों को उनकी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर कड़ी मेहनत करना और सफल होना सिखाया जाता है। आज हालांकि योग्यता और क्षमता ने अपना मूल्य खो दिया है। यहां तक ​​कि 99 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्र को भी वर्तमान आरक्षण नीति के अंतर्गत ओपन मेरिट श्रेणी में कोई अवसर प्राप्त नहीं होता है।”

उन्होंने छात्रों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए सवाल किया कि “अगर युवाओं को उनकी कड़ी मेहनत और उच्च अंक प्राप्त होने के बावजूद, उनकी योग्यता की कोई पहचान नहीं मिलती है, तो उन्हें कहां जाना चाहिए? यह सिर्फ शिक्षा के संदर्भ में नहीं बल्कि उनके पूरे भविष्य एवं आजीविका के संदर्भ में है।”

उन्होंने सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की आलोचना करते हुए उस पर विधानसभा में 50 से ज्यादा सीटें और तीन सांसद होने के बावजूद इस मुद्दे को संबोधित करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने चुनावी अभियानों के दौरान सुधारों का वादा करने और सत्ता में आने के बाद बहुत कम सुधार करने के लिए नेकां की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि “संसदीय चुनावों के दौरान भी लोगों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को वोट दिया, यह उम्मीद करते हुए कि इस मुद्दे को प्रभावी रूप से उठाया जाएगा। लेकिन तीन सांसद होने के बावजूद, जिनमें से एक लद्दाख से है, रुहुल्लाह सहित उनमें से किसी ने भी इस मामले को संसद में नहीं उठाया है।”

उन्होंने अदालत के फैसले का इंतजार करने वाली नेकां की रणनीति को खारिज करते हुए इसे कार्रवाई में देरी करने का एक बहाना बताया। उन्होंने कहा कि “अगर अदालत को आरक्षण नीति पर निर्णय लेना है, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस इस मुद्दे पर वोट क्यों मांगती है? मुख्यमंत्री को कानूनी देरी की आड़ में छिपना बंद करना चाहिए और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने नेकां सरकार से सभी श्रेणियों के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जनसंख्या अनुपात के अनुरूप आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाने का आग्रह किया। उन्होंने 2018 में एसआरओ 49 की शुरुआत का हवाला देते हुए अपने कार्यकाल के दौरान पीडीपी के प्रयासों की बात की, जिसने ओपन-श्रेणी के छात्रों के लिए 75 प्रतिशत स्नातकोत्तर सीटें आरक्षित कीं। उन्होंने नेकां को इसी तरह के कदम उठाने की चुनौती दी।

उन्होंने कहा, “अदालत के फैसले का इंतजार करने के बजाय, मुख्यमंत्री को स्नातकोत्तर छात्रों, विशेषकर एनईईटी में बैठने वाले छात्रों के लिए खुली श्रेणी की सीटें तुरंत बढ़ानी चाहिए।”

महबूबा मुफ्ती ने स्पष्ट किया कि वह आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत करती हैं। जनसंख्या अनुपात के आधार पर इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए। यह तभी प्राप्त हो सकता है जब मुख्यमंत्री निर्णायक रूप से कार्य करने की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करें।”