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आरक्षण में फर्जीवाड़े पर कांग्रेसी पूर्व सीएम आरोपी

हरियाणा में जाट समेत पांच जातियों को आरक्षण दिए जाने के लिए कराए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में फर्जीवाड़े में रोहतक कोर्ट में सुनवाई हुई.कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों ने बहस की. रोहतक कोर्ट ने अब बहस के लिए अगली तारीख 23 दिसंबर तय की है. इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत चार आरोपी हैं. भिवानी के चरखी दादरी के वेदप्रकाश ने याचिका दायर कर रखी है. उन्होंने जाट आरक्षण के लिए कराए गए सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है. इस मामले में पिछली सुनवाई 3 दिसंबर को हुई थी.
हरियाणा में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने आरक्षण देने के लिए महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) और सेंटर फॉर रूरल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट चंडीगढ़ (क्रीड) से जाट समुदाय समेत अन्य चार जातियों को आरक्षण देने के लिए सर्वे कराया गया था.इस सर्वे के प्रोजेक्ट निदेशक, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर खजान सिंह सांगवान थे. सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा में 24 जनवरी 2013 को जाट समेत सभी पांच जातियों को आरक्षण दिया गया था.हरियाणा सरकार ने जाट, बिश्नोई, जटसिख, रोड और त्यागी समुदाय को दस फीसदी स्पेशल बैकवर्ड क्लास में आरक्षण दे दिया था. इसी आरक्षण पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस साल रोक लगा दी.
इसके बाद भिवानी के याचिकाकर्ता वेदप्रकाश ने जाट समेत पांच जातियों को दिए गए आरक्षण के लिए कराए गए सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर दी. उनका कहना है कि यह सर्वे गलत है. इस सर्वे में जाट समुदाय समेत चार अन्य जातियों के सामाजिक और आर्थिक स्तर के गलत आंकड़े पेश किए गए, जिनके आधार पर हरियाणा सरकार ने इन्हें एसबीसी श्रेणी में आरक्षण दिया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राजनीतिक लाभ देने के लिए यह सर्वे के फर्जी आंकड़े पेश किए गए, जबकि सच्चाई यह है कि यह सर्वे कभी हुआ ही नहीं.
सर्वे के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए. याचिकाकर्ता ने सर्वे को फर्जी कराते देते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन केसी गुप्ता, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक के पूर्व वीसी आरपी हुड्डा व सर्वे के प्रोजेक्ट निदेशक खजान सिंह को आरोपी बनाया है.उन्होंने इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471 व 120 बी के तहत केस दर्ज करने की मांग की है.

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